Book Title: Agam Suttani Satikam Part 23 Dashashrutskandh Aadi 3agams
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 277
________________ (21 क्रम ३८०० ८. ४०० १०० (૪૫ આગમ મૂળ તથા વિવરણનું શ્લોક પ્રમાણદર્શક કોષ્ટક) आगमसूत्रनाम मूल | वृत्ति-कर्ता वृत्ति श्लोक प्रमाण श्लोकप्रमाण | १. आचार २५५४ शीलाङ्काचार्य १२००० २. सूत्रकृत २१०० शीलाङ्काचार्य १२८५० ३. स्थान ३७०० अभदेवसूरि १४२५० ४. समवाय १६६७ | अभयदेवसूरि ३५७५ ५. भगवती १५७५१ अभयदेवसूरि १८६१६ ६. ज्ञाताधर्मकथा ५४५० अभयदेवसूरि ७. उपासकदशा ८१२ | अभयदेवसूरि ८०० अन्तद्दशा ९०० | अभयदेवसूरि अनुत्तरोपपातिकदशा १९२ | अभयदेवसूरि |१०. प्रश्नव्याकरण १३०० अभयदेवसूरि ५६३० ११. विपाकश्रुत १२५० अभयदेवसूरि ९०० १२. औपपातिक | ११६७ | अभयदेवसूरि ३१२५ १३. | राजप्रश्निय २१२० | मलयगिरिसूरि ३७०० |१४. जीवाजीवाभिगम ४७०० | मलयगिरिसूरि १४००० १५. प्रज्ञापना ७७८७ | मलयगिरिसूरि १६००० |१६. सूर्यप्रज्ञप्ति २२९६ | मलयगिरिसूरि १७. चन्द्रप्रज्ञप्ति २३०० मलयगिरिसूरि ९१०० १८. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ४४५४ शान्तिचन्द्रउपाध्याय १८००० १९थी निरयावलिका ११०० चन्द्रसूरि ६०० २३. (पञ्च उपाङ्ग) २४. चतुःशरण ८० |विजयविमलयगणि 1(?) २०० २५. आतुर प्रत्याख्यान १०० गुणरत्नसूरि (अवचूरि) (?) १५० २६. |महाप्रत्याख्यान १७६ आनन्दसागरसूरि (संस्कृतछाया) १७६ २७. भक्तपरिज्ञा २१५ | आनन्दसागरसूरि (संस्कृतछाया) २१५ २८. तन्दुल वैचारिक ५०० विजयविमलगणि [(?) ५०० २९. | संस्तारक १५५ गुणरत्न सूरि (अवचूरि) ११० ३०. गच्छाचार १७५ | विजयविमलगणि १५६० ३१. गणिविद्या १०५ | आनन्दसागरसूरि (संस्कृतछाया) १०५ ९००० - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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