Book Title: Agam Suttani Satikam Part 23 Dashashrutskandh Aadi 3agams
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 229
________________ २२६ महानिशीथ-छेदसूत्रम् -६/-/११५१ मू. (११५१) चरिमो तित्थयरोजइया तया जंबू दाडिमो राया। भारिया तस्स सिरिया नाम बहु-सुया॥ मू. (११५२) अनया सह दइएणं धूयत्थं बहू उवाइए करे। देवाणं कुल-देवीए चंदाइच्च-गहाण य ।। मू. (११५३) कालक्कमेण अह जाया धूया कुवलय-लोयणा। तीए तेहिं कयं नामं लक्खणदेवी अहऽन्नया ।। मू. (११५४) जाव सा जोव्वणं पत्ता ताव मुक्का सयंवरा । वरियंतीए वरं पवरं नयणानंद-कलाऽऽलयं ॥ मू. (११५५) परिणिय-मत्तोमओ सो विभत्ता सा मोहं गया। पयलंतंसु नयनेणं परियणेण य वारिया। मू. (११५६) तालियंट-वाएणं दुक्खेणं आसासिया। ताहे हा हाऽऽकंदं करेऊणं हिययं सीसंच पिट्टिउं ।। अत्ताणं चोट्ट-फेट्टाहि घट्टिउं दस-दिसासु सा । मू. (११५७) तुण्हिक्का बंधुवग्गस वयणेहिं तु स-सज्झसं । . ठियाऽह कइवय-दिनेसुंअन्नया तित्थंकरो ।। मू. (११५८) बोहितो भव्व-कमल-वणे केवल-नाण-दिवायरो। विहरंतो आगओ तत्थ उज्जाणम्मि समोसढो॥ मू. (११५९) तस्स वंदन-भत्तीए संतेउर-बल-वाहणे। सब्विड्डीए गओ राया धम्मं सोऊण पव्वइओ॥ मू. (११६०) तर्हि संतेउर-सुय-धूओ सुह-परिणामो अमुच्छिओ। उग्गं कहूं तवं घोरंदुकरं अनुचिट्ठई॥ मू. (११६१) अन्नया गणि-जोगेहिं सव्वे विते पवेसिया। असज्झाइल्लियं काउंलक्खणदेवी नपेसिया॥ मू. (११६२) सा एगते वि चिटुंती कीडते पक्खिरूल्लरू । दद्णेयं विचिंतेइ सहलमेयाण जीवियं ॥ मू. (११६३) जेणं पेच्छ चिडयस्स संघटुंती चिट्ठल्लिया। समं पिययमंगेसुं विबुई परम जने ॥ मू. (११६४) अहो तित्थंकरेणम्हं किमटुं चक्खु-दरिसणं। पुरिसित्थी रमंताणं सव्वहा वि निवारियं ॥ मू. (११६५) ता निदुक्खो सो अन्नेसिं सुह-दुक्खं न याणई। अग्गी दहण सहाओ वि दिट्ठी दिट्ठो न निड्डहे ।। मू. (११६६) अहवा न हि न हि भयवं आणावितं न अनहा। जदेण मे दह्णं कीडंति पक्खी पक्खुभियं मनं ।। मू. (११६७) जाया पुरिसाहिलासा मे जाणं सेवामि मेहुणं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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