________________ आगम निबंधमाला प्रकार के कुलो में गोचरी जाने का कथन है / वे तीनों शब्द समृद्धि की अपेक्षा धनवान, मध्यम और सामान्य घरों के लिये प्रयुक्त है / उसका आशय इतना ही है कि कल्पनीय सभी घरों में निष्पक्ष भाव से गोचरी जाना चाहिये / अमीर गरीब या मध्यम का अलगाव नहीं करना चाहिये या केवल धनाढय लोगों के यहाँ ही गोचरी जाना, ऐसा भी नहीं करना चाहिये / अत: सूत्रकार की दोनों जगह की अपेक्षाओं को सही तरह से समझकर अत्यंत विवेक के साथ श्रद्धा, प्ररूपणा और व्यवहार करना चाहिये / दोनों जगह के सही आशय को समझे बिना या अपने मनमाने संकल्प या आग्रह से कोई भी एकांत प्ररूपण में नहीं पडना चाहिये / तात्पर्य यह हुआ कि जुगुप्सित(अस्पृश्य) और लोकनिंदित कुलों में भिक्षार्थ नहीं जाना एवं अमीर, गरीब के भेद से गोचरी नहीं करना चाहिये / तीनों प्रकार के घरों में सामुदायिक गोचरी करना चाहिये / प्रश्न-गोचरी जाने योग्य उदाहरण रूप में कौन से कुल कहे हैं ? उत्तर- इस अध्ययन के दूसरे उद्देशक में गोचरी जाने योग्य उदाहरण रूप में निम्न कुलों के नाम हैं; यथा- (1) उग्रकुल-जागिरदार आदि (2) भोगकुल-पूज्य स्थानीय पुरोहित कुल (3) राजन्यकुल-राजमित्र स्थानीय या राज परिवार के कुल (4) क्षत्रिय कुल, सैनिक-राठोड आदि (5) ईक्ष्वाकुकुल-ऋषभदेव का कुल (6) हरिवंशकुल-२२ वें भगवान का कुल (7) गोपालों का कुल (8) वैश्य-वणिककुल (9) नापित कुल (10) बढई (11) कोटवाल (12) जुलाहा इत्यादि / अन्य भी ऐसे लोक व्यवहार में जो योग्य कुल हों, वे सभी भिक्षा योग्य कुल समझना चाहिये। निबंध-२८ वायुकाय की विराधना : एक चितन - आगमोक्त विराधना दो प्रकार से होती है अर्थात् आगम में विराधना(समारंभ) दो अपेक्षाओं से कही जाती है- जीवों की हिंसा होने से और जीवों की उत्पत्ति होने से /