________________ आगम निबंधमाला ये 9 नाम भी उदाहरणार्थकहे गये है, वास्तव में आचारांग सूत्र, दशवैकालिक सूत्र कथित विविध प्रकार के धोवण पानी शुद्ध निर्दोष गवेषणा युक्त एवं विवेकपूर्वक साधु ग्रहण कर सकते हैं। सूत्र सिद्धांतो के विपरीत मनमाने प्ररुपण करने का किसी को अधिकार नहीं होता है किंतु क्षेत्र-काल अनुसार जहाँ जब जैसी सुविधा संयोग होवे तदनुसार साधु-साध्वी निर्दोष धोवण पानी या गर्म पानी शरीर की अनुकूलतानुसार ग्रहण कर सकते हैं / दोष युक्त लेने पर शास्त्रानुसार उस-उस दोष का प्रायश्चित्त आता है / प्रायश्चित्त लेकर शुद्धि करने पर आराधना हो सकती है किंतु उस दोष का प्रायश्चित्त न करके उलटा वैसा लेने की प्रशंसा या प्ररुपणा करे तो संयम विराधना का कारण बनता है। निबंध-६० अल्पवृष्टि-महावृष्टि कैसे होती ? (1) स्वाभाविक रूप से जिस क्षेत्र में या प्रदेश में उदकयोनिक जीवों की और पुद्गलों की उत्पत्ति, चयोपचय वगेरे अधिक मात्रा में होवे तो अधिक वृष्टि होती है। (2) भवनपति, व्यंतर या वैमानिक देव अन्यत्र रहे उदक परिणत वर्षा के योग्य पुद्गलों को वहाँ से संहरित करके ले आवे (3) वर्षा वरसने योग्य उदक परिणत बादलों को हवा नहीं बिखेरे तो अधिक वृष्टि-महावृष्टि होती है / __इसके विपरीत (1) स्वाभाविक रूप से जिस क्षेत्र या प्रदेश में उदकयोनिक जीव और पुद्गलों की उत्पत्ति, चय-उपचय आदि न होवे (2) देवता उदकपरिणत वर्षा के योग्य पुद्गलों को अन्य देश में संहरण कर देवे (3) वरसने योग्य बादल रूप में परिणत पुद्गलों को हवा विखेर देवे तो अल्पवृष्टि या अनावृष्टि होती है / तीन की संख्या का कथन होने से वृष्टि संबंधी 3-3 कारण कहे हैं। निबंध-६१ भूकंप क्यों और कैसे ? जिस पृथ्वी पर चराचर जीव निवास करते हैं उस आधारभूत | 118