Book Title: Agam Nimbandhmala Part 03
Author(s): Tilokchand Jain
Publisher: Jainagam Navneet Prakashan Samiti

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Page 236
________________ आगम निबंधमाला (1) अधोलोक- 14 राजु प्रमाण लोक का नीचे का सात राजु का क्षेत्र अधोलोक है / इसके मुख्य सात प्रति विभाग हैं वह सात नरक रूप है। जिसमें सातवीं नरक नीचे है फिर उपर-उपर छट्ठी, पाँचवीं आदि है सबसे उपर प्रथम नरक पृथ्वी है। विशेष में- नीचे लोकांत से सर्व प्रथम असंख्य योजन प्रमाण आकाश. मात्र है / उसके बाद उसके उपर असंख्य योजन तनुवात है, फिर उसके उपर असंख्य योजन घनवात है, उसके उपर वीस हजार योजन घनोदधि है और उसके उपर फिर सातवीं नरक पृथ्वीपिंड है / नीचे से यहाँ तक एक राजु ऊँचाई होती है और लंबाई-चौडाई सात से घटते हुए साधिक छ राजु रह जाती है / सातवीं नरक के पृथ्वी पिंड के उपर पुनः असंख्य योजन प्रमाण आकाश, फिर असंख्य योजन उपर तक तनुवाय, फिर असंख्य योजन घनवाय है / उसके उपर वीस हजार योजन की घनोदधि है और उसके उपर छट्ठी नरक पृथ्वी पिंड है / नीचे से यहाँ तक देशोन दो राजु ऊँचाई होती है / - इसी क्रम से पाँचवीं, चौथी, तीसरी, दूसरी, पहली नरक पृथ्वी तक उपर-उपर क्रमश: आकाश, तनुवाय, घनवाय, घनोदधि और फिर पृथ्वी समझना चाहिये / इस प्रकार यह अधोलोक मुख्य सात नरक पृथ्वी रूप विभाग वाला एवं सात राज ऊँचाई वाला है / . नीचे चौडाई (1) प्रथम नरक पृथ्वी समभूमि 1 राजु (2) दूसरी नरक पृथ्वी 1.8 // राजु (3) तीसरी नरक पृथ्वी 2 राजु 2.7 राजु (4) चौथी नरक पृथ्वी 3 राजु 3.5 // राजु | (5) पाँचवी नरक पृथ्वी 4.4 राजु (6) छट्ठी नरक पृथ्वी 5 राजु 5.2 // राजु (7) सातवी नरक पृथ्वी 6 राजु 6.1 राजु (8) लोकांत 7 राजु 7 राजु 1 राजु 4 राजु " sw, | 236

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