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विषय और प्रश्नादि पत्राक
पत्राक
विषय और प्रश्नादि काय पर्यन्त घेइद्रिय को विकृतयोनि कही, चौ
(नवा पद पूर्ण कथा) रिद्री पयन्त, समूच्छिम पचेद्रिय तियथ शोर मनुष्य को विकृतयोनि कही, गर्भव्यत्क्रान्तिक
॥ १० वा पद कहते हैं। पधेद्रिय तिर्यंच और मनुष्य को सवृतषिवृत्त यो रत्नप्रमादि यावत् ईपत्माग्नारा पर्यन्त शाठ पू
थियी कही| ३३१ वानभ्यन्तर जोतिषी धैमानिक को जैसे नारकी यह रक्षप्रना प्रथिवी नही चरमा नही घरमा
को कहा नही चरमाइ नही थथरमाइ नही चरमान्त प्र यह सपत विवृत्त सप्तविकृतयोनिक अयोनिक देशा नही श्वरमान्तप्रदेशा इत्यादि यावत् नी|
जीयो में कौन किस्से घोसा घणा इत्यादि ३३३ चे सासमी पधिधी, सौधर्म शादि यावत् थनुप्तर फर्मोन्लत सुखावर्त बशीपत्र नेद से तीन प्रकार विमान एव ईपत्याम्नारा पूधियी, एवं लोक, की योनि है फालता योनि उत्तम पुरुषोत्पप्ति
एवं थलोकनी कहना) ३३५ स्थान, खावत सोरत्न की, शीपत्रा सामा परमाण पुद्गल या घरम थचरम यवक्तव्य घर
न्य मनुष्यों को है। ३३१ ।। माइ घरमाइ इत्यादि जगा २६' ३१०