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विपय और प्रश्नादि
पत्राक विषय और प्रश्नादि
पत्राक कितने प्रकार पश्यता कही२, साकार पश्यत्ता
प्ररूपणाधिकार ७५८ ६ प्रकार, शनाकार पश्यता तीन प्रकार है। केयली इस रत्नप्रनापृथिवी को थाकार हेतु उ
एव जीव को कहना ७५ पमा दृष्टान्त वर्ण सस्थान प्रमाण से जिससमय नारकी को २ पश्यता, साकार पश्यन्ता १ छाना|
जाणे उससमय देख इत्यादि प्रश्न ७६० कार २ एव स्तनितकुमार पर्यन्त ७५७ | (३० पद समाप्त जथा) प्रथिवीकाय को १ साकारपश्यप्ता एष वनस्प ति पर्यन्त ७५७
॥३१ कहते हैं। द्वीन्द्रिय को १ साकार पश्यता सो २ तरहकी है | जीय सज्ञी शसज्ञी के नो सज्ञी नो सज्ञी इत्यादि एव त्रीन्द्रिय नी चक्षुरिन्द्रिय को २ साकार
प्रश्न निर्णय ७६२ पश्यता जैसे द्वीन्द्रिय को शनाकारपश्यत्ता | पूधिधी काय प्रश्न, एव याषच्चतुरिन्द्री मनुष्य जैसे १ कही , मनुष्य को जैसे जीयो को शेष जैसे | जीव, पद्रिय तिर्यच वानप्यन्तर जैसे नारकी _ नारकी यावद्वैमानिक ७५८)
जोतिषी वैमानिक सज्ञी, ७६३ जीव साकारपश्यी है के श्वनाकार इत्यादि
(३१ वा पद कहा)