Book Title: Agam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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सम्मामिच्छदिष्ठीण घ कयरे कयरोहितो छप्पावा ? गोयमा । सछत्योया जीवा सम्मामिच्छविठी, सम्म दिठी आणतगुणा मिच्छदिष्ठीशणतगुणा, दार ९ । एसिण नते । जीयाण शानिणियोहियणाणीण सुयणाणीण चहिणाणीण मणपझावनाणीण केवलनाणी णय कयर कयरेहितो शप्पावा? गोयमा । सछ स्योया मणपजवनाणी महिनाणी अस० यानिणियोहियनाणी सुयनाणी दोयि तुला विसेसाहिया केव लनाणी आण । एसिण लते । जीवाण महशणाणीण सुयशणाणीण विनगनाणी गय कयर कयरहितो शप्पाया। गोयमा । सहयोवा जीवा विनगनाणी महशुन्नाणी सुयशनाणी दोषि तल्ला शणतगुणा। एपसिण नते । जीयाण शानिणियोहियनाणीण सुयनाणीण हिनाणीण मणपावनाणीण कंवलनाणी ण मतिश्शनाणीण सुयशलाणीण विनगनाणोणय कयरे कयरहितो थप्पाया४ ? गोषमा । सहयोवा
भ्योऽश्पा वा ४. गौत्तम । सस्तोका जीवा सम्पग्मियाप्पिन सम्यग्दृष्टिमोमगुवा मियादृष्टिकोनमापुणा द्वारम् । एतेपा प्रदन्त ।। जोवानामामिमियोपबचानिमा मतानिनामपिचामिना मम पयवामिना केवलचानिमा चक्तरे पतरप्योऽम्पा वा" गौतम । सषस्तोता, मम पर्यपधानिमो ऽषितानिनोऽसस्पगुवा पाप्रिमिषोभिवतामिम अनचानिमय द्वापि तम्पो विद्यपाधिको केवमचामिनोऽमसयपाः। एते पा प्रदन्त । मत्यचामिना जीवाना भुताचानिमा विभचामिनायतरे तरंम्योऽस्पा वा ४१ पौतम । सवस्तोवा जीवा विनमचानिनो मत्य शामन मुतामानिमयावपि तस्यौ भनागौ। एनेपा प्रदन्त । जोवाना पाानियोपिकमानिनो चुतचानिमामवपिचामिना मनापययात्रा मिमा मानिना मत्यजामिना भूताचालिना विचामिनाम पतरबतरण्याऽस्या वा गोतम । सवस्तोका जीवा मम पययचामिनोव पिमानमोऽसस्पगुमाः पानिामबोधिषशामिनः मुषचामिनयोपि तस्यौ विशपाती, विमचानिनो ऽसव्यपगुवाः फेवसानिमालय

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