Book Title: Agam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 360
________________ पञ्जीवेण जम्मणमरणमरतं धनवगणसमजुत्य ८५ घोरम्मिश्पवासे कलमलजघालासुद्दवीजत्ये वसिष्‍ ततो जीषोकम्मापनावेण ८६ जोणीसुद्दनिग्गत्य से संसांरेइमेणजीत्रेण रसियष्ठधीनस्य कमीकाहतरग एव ८७ अपिधीत्य सुघोरम्मिगभ्यसमि तचितिऊ सय सुरक मिमइनिषेसिया ८८ चमिरुणविमा मुपजीधा पसरतिमणिमहेसु षसिउ पुणोषिसुचिय ओणिसहस्वधयारेसु ८९ वसिऊणदेवेलोए निम्नुएसए सञ्जीचा वसालवेगकलम बिलबलया मुहे धोरे ९० वसिऊणसुरमर सरषमीयररिद्धिमाहरे तनिरनि रस रठयत्नंरब्पजरजीबो ९१ वणिविधिप्तेषु विमाणम मनघणसोलसिहारमु घसइसिरिए गिरिगुह विव रमाकदरदरी ९२ पण वनोगसुह सुरनरखपरेतुपुण्यमाएण पिट्ठनरएसु मेरषफल कलम उतयपापाह ९३ सोळ मुद्दयारवड नषेश्वषयसमगलरघोघं सुमइनर एसुदुह पराक्रनुद्दाइसाई ९४ निहपहपगिरहद पय उचिधयधरुधादि फालेटोले घोलघूरो खारेहिसमत ९५ षयरपिनाकलिमल बेसलकसष्ठरक्रयकुलेस यसिउनरप पुष्ठि उद्देषु ९६ सिरिएसुधनेरव सद्द परणयास बसिउउति प्रमाणोजी घोष द्विमिस सरि - सम्म प्राविषिङ्गविषिविकासहस्वजे सघमि जोगप्रिय साजयतु ष सिउजयपंजरेजी वा १८ बसिबद समुसिप गिरिसुषुश्चिममसृद्दमेवेषु मोसुयवसिय संसारेस सरते में ९९ पोमय ग्क्षीर सागरखति ठाउपत्र

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