Book Title: Agam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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यससणहारुणिषिणष्ठा दोषिष्णुतरघासी महेमिणा रिसिपणा ४७ छत्येरयंचलोएता तिहिंदेषयामुनावेण विष्ठिनिषेस पसिनामगाहस्थी ४८ अहते समसचमो दुवाल विलम्गेषिणोयप लिया होततघोकिलतंषी सामेऊ विषयवचाग उषष्ठपुणपावा फाय सुमहं करेसीह ५० सुगहियसावगघम्मा जिप्पमष्टिमाणे सुजिप्पयसोइया हरमुजिणोपासे निस्कताविहगा ५१ सुगिहिब जिणघयणा मयवरिष्ठासी सुरहिगष्ठा विहरियगुरुस गास जिगर सुपुष्छ सित्यमि ५२ कणगाव समुप्तावलि रयणावलिसी हकीलियफलता काहीयससवेगा प्रापि मा ५३ पाखरियायमणोहर सिहरतरवरं पुरकरहय ष्याडकरचणपकय सिर सेवियमाहिमवत ५४ महिरपलरुवर परश्वसिनमरमऊपरषिलोलो एयरगिरिविस्यमण हरविप्णवपणसुकाणुस ५५ संमि सिलापुहषी पचविदेह ठिसुणियत्या कालगयाउवषणा पंचविश्व पराजियविमाणे ५६ ताऊ हरूप नारह सससरित पशुमरावितणया जायोजयलबिनष्ठारो ५८ तेकहमर दूसष्ट दुरकममुप्पन्वति सवेगा सुहिय गोसे मिकताकायकितीय ५९ जिठोष दासपुछी घटरोकारसगवीष्यासी विहरियगुरुसगाव जसपछि नखशियलो ६०० सविहरिकृशमिहिषा जवरिमुरहकमे प्रशसन्ता - षोउझिणनिवाणु नष्टमरिल करे सोय 'घो रानिगा ष्टारीजीमो तुगाहिप्र निखार्थं सतुज्बुसोसिहरे पाउयगय गनायोघो ६२ पुछ विराहियश्वर उच्च

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