Book Title: Agam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 345
________________ समवुबालसेद्वि नप्तेष्टि्रिश्चिष्त्रकठेहि मिलकष्टाहार करेहिंष्टायलिबिहिणा ७३ परिषद्विमे रहारुबिंग फिफास लिकी सलिव्हियतणुसरीरो एसप्परउमुनीनिश्च ८४ एषसरीरसलेणा विहियषिहिपिफा सितो विद्धि खपितोमामा त्यो ८५ खत्राणविसृठी वियतिय | जेतवगिष्ठमयि कुतियालले सान डोइसाकेश्लसुठो ८६ एयसरागसलेला विहिजईसमा परतु श्रनप्पस जप मई सोपाय केवलसुद्धा ८० निखिता फाया सरीरले विहीर हत्तोकसायजोगा सप्पबिहिंयरमधुन ८८ कोहखमाइमाण मद्दव पावावे मायच सोसेघलोह निष्विणिश्वत्तारिधिकस्साए ८९ कोवरसयमाणस्स यमायालोने सुयान एएस ३ ९० जाप सिकेष्ठ ठाणा उदीरगातिकसायाण तउसयाविज्झितो वियुतसगोमुगीविहरे ९१ सनोवसतधिम पसह विहि वसमष्ठियासतो निस्सगयासुबिहिया सलिष्ठ मोहकसाएय ९२ इहा णिठेसुसयासद्द फरिस गंधहि सुहदुरकनि ! इिसेसो जियसगपरीसहोषिहरे ९३ समिः सुयं समिउ जिणाहितएदिएमुठु तिमिहिगारहि रहिउडोइतिगुप्तो यदमेहि ९४ सन्वासुवास सुरुद्देश्तबिसुप्पो रागद्दोसपघचे निश्चिणिउस गोजतो ९६ को दुरक पावि ज्याकम्मय सुस्कंहिंत्रिमहउऊया कोषिनल निजामुरक रागद्दोसो अहनदुड्या ९७ निघतकुणइयमितो सुघुविराट्रि उसमत्योषि जदोषिष्वनिम्गहिपा करितिरागो यदी सोय ९८ तसुबहरागदोसेयेय वितहप्पणोनिञ्च जतहि ।

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