Book Title: Agam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur

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Page 349
________________ जिणहिपन्तप्त सुझोउसिल्ली पाउगमपरी हामि ४६ ससारषषाले त्रियदुगालाम एकमो वाहिरियोप परिणामि यायनयत सुतिन्नोष्ट ४७ इरनिमित्रेण मत्यात्रत्यत गुप्तारतरय सचिप्ताहारविष्ठितण उमणसाविनि च्छामि ४८ त कणष्णुग्गी लण समद्दोनइ सहस्सेहि नइमोजी बोसका तिप्पेउकामनोगेहि ४९ लवण्यसह सह सामाणो दुप्पूरोध उपरमिको नऊसक्कातिप्पेउं जोषां ससारियमुहे हि ५० कप्पतरुसत्रे सुया देवप्रकुरुवसंय सूपसु परिगणन नप्ता नरविकारमुरं ५९ देविदवहित्रणा रजाई उत्तमानोगा पनोणतखुनो नय हतिनिगते ५२ पयरकी चुरसे सुय उसासमहोदही सुख साथि उघवन्नोनतहास्थि न्नाप्ते सीयल जलेहि ५३ षिणविहमउल जम्हाका मरसिय सुरकाण बऊमोविसमगु नृपनयतुहन्हा परिष्निा ५४ अकोइत्यण्ण उ कमे० रागदामघमएम पबिधेण वषिहा प्तनिदत्त गरिहामि ५५ इतूणय मोहजालस्थित णयष्टकम्म स क लिय अम्ममरणरहद्द नि भूणाषाणमुच्चिहिनि ५६ पचय मलाइ तिविहति बिहेणारहऊण मगवय कायगुनो स स्मरणमित्पिडा ५७ को मामलोह पितष दोसच घऊणप्पमप्तो रस्कामिमहयएपंच ५८ कल हिं न्यस्काणपेसुन्नं पियपरस्स परिषाय परिवतितोगुप्तो रामिमपच ५९ किमहानीलकाउले सकायाणि प्पसत्यापि विपरिचितो गुतो रस्कामिमहइएपंच ६० ते उपनहसुलेखा काणाणि सुप्प सत्याणि उपसंपन्नो

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