Book Title: Agam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Author(s): Rai Dhanpatsinh Bahadur
Publisher: Rai Dhanpatsinh Bahadur
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एगे विमाणावाससए हवतीति मस्काए , सेस तहेव जाणियच जाय शहमिदा नाम ते देवगणा पणता समणाउसो । एक्कारसुप्तरहे ठिमेसुसत्तुप्तरचमज्जिमए । सयमेगउपरिमए पचेवश्यणुप्तरविमाणा ॥१॥ कहिण नते ! थणुप्तरोषवाइयाण देवाण पता २ ण ठाणा पणता ? कहिण नते । शृणुप्तरोषयाइया देवा परिवसति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पनाए पुढवीए बमसमरमणिमा नमिनागा उहुंचदिमसू रियगहगणनस्कत्ततारायाण बह जोयणसयाइ बन्द जोयणसहस्साइ बद जोयणसयसहस्साइ यहा गा जोयणकोफी यजगा जोयणकोकाकोफी उह दूर उप्पडता सोहम्मीसाणसणकुमारमाहिदयन लोगलतगसक्कसहस्सारचाणयपाणयथारणश्चञ्चुयकप्पा तिणियशहारसुस्तरे गेविजयिमाणायाससए विती वडता तेय पर दूर गता णारया निम्मला वितिमिरा विसुझा पचदिसि पय शणुप्तरा महतिमहालया महा विमाणा पणप्ता , तजहा-विजये घेजयते जयते अपराजिए सबष्ठसि । तेण विमाणा सधरयणामया
मा मवर एक विमामावासात प्रवतीति मपाल्पातम् , शेप वव मस्तिष्य यावदामिन्द्रा माम ते देवगणाः प्रचताः अमर पायुप्मम् । एका रघोत्तरमप-सामेषु सप्तोत्तरतुमाध्यमिके। पवमेवमीपरिमिषे पनवानसरविमाना ॥१५ पदमा पत्तरोपपातिक्षामा देवामा पर्याप्ताप योप्तामा स्थानामि प्र०प्रदम्त । पनत्तरोपपातिया देवा परिवसन्ति गौतम । अस्या रवप्रमाया पाचव्याः यसमरमयीपावनमियागासे पन्तसूपयापमहताराढपापा यानि योवनानि पनि योवनवामि पनि योबमसाम्रावि यावर्स दरमत्पत्याच सौधर्मधानसमस्युमारमा ऐन्त्रप्रहातावानुमानारामतमारवारपायुताया वीज चाप्टादशोहराधि प्रवेषपविमामावामशवामि व्यतिव्रज्य (मप्य) तेयोपि पर दूर पता नौरवसो निमसा वितिमिरा विमुदाः पचम विष्ठ पमानबरा महाविमशासपा महाविमामा प्रचता सद्यपा-विवपावेजपत्तोषपन्यो

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