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विपय और प्रश्नादि
पत्राक विषय और प्रश्नादि
पत्राक पद्रिय तिर्यच यावत् वैमानिक को पाच समु० है, एत्र वैमानिक नट वनस्प तकार मनुष्य में ८०० मनुष्य का सात, एकेक नारकी को कितने स एक नारकीका नारकी पणे फितन वढना स० मु० शुतीत शनत पुरस्कृत इत्यादि ७९६
शुतीन इत्यादि ८०१ एव शसुरकमार को नी वैमानिक पयत, एव एव शुनरकमार से वैमानिक पयन्त, एक शस चौवीस दकक कहा, ऐकेक नारकी को कितने
रकमार को नारकीपणे स्तिने वटनासम० सम० शतीत इत्यादि वैमानिक पर्यत ७९७ शतीत इत्यादि, एकक मुरकुमार को असुर एकेक नारकों को कितने केवलिसमु० थतीत कुमार पणे कितने वेदना स० श्तीत एवं वे इत्यादि ७९८
मानिक ८०२ एष वैमानिक या उन्मनुष्य पयन्त , नारकी को एय वैमानिक पर्यत २४ चौहान वाक होय, ना कितने वेदना समु० शुतीत इत्यादि, एवं वे रकी के नारकीपणे कितन कपायसम्०रातीत मानिक तक, एक तेजस नी एव पाच २४ द इत्यादि एव एकेक नारकी के शु सुरकुनार पणे कक नारकीका क्तिने थाहारक सम० शतीत| ७१९
कितना छातीत एव स्तनितकुनार तक ८०४ एष वैमानिक तक विशेष वनस्पतिकाय मनुष्य मे | मारणातिक समु० स्वस्थान मे एकाप्नरिका से जहा