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विपय और प्रश्नादि
पत्राक विपय और प्रश्नादि
पत्राक ॥११ पद कहते है॥
धिकार ११७ क्रोधादि चार कपाय कहे एव चैमानिक पर्यन्त एव चैमानिक पर्यन्त जीव से लगाय १८ दफक कहा ११५
कहना कतिप्रतिष्टित क्रोध है एय नरयिक यायद्वैमानि
(१४ वा कपाय
वा कपाय पद पूर्ण जया)
क पर्यन्त ११६ | कितने तरह से क्रोध होता है १ तरह कहा वैमा
॥ १५ या पद कहते हैं । निक पयन्त| ११६ | सठाण याहाल इत्यादि गाया २ अनन्तानुबन्धी आदि १ प्रकार क्रोध कहा नार पाच इन्द्रिय कही की याबद्वैमानिक पयन्त , ण्य मान माया लोन श्रोत्रंद्रिय काठम्युका सस्थान सस्थित है १२०
__सेनी चारो दमक कहा ४१७ चक्षु मसूरचन्द्रसस्थानमस्थित है , नासिका शाजोग नियनित शादि चार भदे फ्राध कहा अतिमुक्तक सस्थान सस्थित है , निशा में
एव मानादिनी ११७ | सस्थान है , स्पशनद्रिय नानासस्थान मास्थत है। ४२० जीय चार तरह म चाठ कम चिण हत्यादि शु | वाद्रिय याहल्य यावत् स्पज्ञानद्रिय याहत्य
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