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पत्राक
पत्राक
विषय और प्रश्मादि
विषय और प्रसनादि इसनाही के मनुष्य को पुरस्कृत है भी नही कितने द्रव्येद्रिय अतीत , एव नारकी के अमी. सनस्कमार मारेन्ठ ग्रहल लान्तक शुक्र
सुरपणे में अतीत यह पुरस्कृत द्रव्येंद्रिय कहे ११९ सहसार आनतमाणत मारण अच्युत ग्रेधेयक एकेफ नारकी को एकेन्द्रिय पने में कितने अतीत देष को जैसे नारकी को , पचानुप्तर देव को घछ पुरस्कृत हैं, द्वीन्दियपने में कितने हैं, अवीत अनन्त पछ८ । १६ । २४ । सख्यात,
त्रींदीय पने में कितने है इत्यादि निर्णय, १५० सर्वासियदेव को अतीत अनन्त यछ। एष धौरिन्दिय मी पर पुरस्कृत ६ । १२ । १८ पुरस्कृत, नारकी को द्रष्येन्द्रय अनन्त अवीत सख्याप्त असख्यात अनन्त है, पदीय विय
। पह प्रसस्यात पुरस्कृत अनन्त ११८ | चपने में जैसे असुरकुमार पने में कहा , एवं एवं अवेयक देव पर्यंत मनुष्य को पछ कदाचित् मनुष्यपर्ने में मी पर पुरस्कृत छ । १६ । २७।
संख्यात असंख्यात मी है, पचानुवर देव को संख्यात असंख्यात अनन्त है, यानव्यन्वर *अतीत अनन्त बह और पुरस्कृत भसैख्य है। जोतिषी चौधमीदियोंगयुकदयपने में प्रतीत
पिसिकदेवको मतीत भनन्द पहपुरका अनन्त घर नहीं पुरस्कृत कदाचित् , एकेक - सम्मानिएका भारका नारकी पम नारकी को पचानुप्तर देवपने में प्रतीत नहीं