Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ वर्ग 1 : प्रथम अध्ययन] 1. कालकुमार 2. सुकालकुमार 3. महाकालकुमार 4. कृष्णकुमार 5. सुकृष्णकुमार 6. महाकृष्णकुमार 7. वीरकृष्णकुमार 8. रामकृष्णकुमार 6. पितृसेनकृष्णकुमार 10. महासेनकृष्णकुमार / " जम्बू अनगार ने इस पर पुनः निवेदन किया-'भगवन् ! यदि श्रमण यावत् मोक्षप्राप्त भगवान् महावीर ने उपांगों के प्रथम वर्ग निरयावलिका के दस अध्ययन प्रतिपादित किए हैं तो निरयावलिका के प्रथम अध्ययन का क्या प्राशय निरूपित किया है ?' कुमार काल का परिचय 5. एवं खलु जम्बू! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेब अम्बुद्दीवे दोवे भारहे वासे चम्पा नाम नपरी होत्था / रिद्ध० / पुण्णभद्दे चेइए / तत्थ णं चम्पाए नयरीए सेणियस्स रन्नो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए कूणिए नामं राया होत्था। महया० / तस्स गं कूणियस्त रन्नो पउमावई नाम देवी होत्था, सोमाल० [जाव] विहरइ। तत्थ णं चम्पाए नयरीए सेणियस्स रन्नो मज्जा कूणियस्स रन्नो चुल्लमाउया काली नामं देवी होत्या, सोमाल० [जाव] सुरुवा। तोसे णं कालीए देवीए पुते काले नाम कुमारे होत्था, सोमाल० [जाव] सुरुवे // 5. सुधर्मा स्वामी ने कहा---उस काल और उस समय में इसी जम्बुद्वीप नामक द्वीप के भारतवर्ष में ऋद्धि आदि से सम्पन्न चम्पा नाम की नगरी थी। उसके उत्तर-पूर्व दिग्भाग में पूर्णभद्र यक्ष का यक्षायतन था। उस चम्पा नगरी में श्रेणिक राजा का पुत्र एवं चेलना देवी का अंगजात-पात्मज कूणिक नाम का महामहिमाशाली राजा राज्य करता था। कूणिक राजा की रानी का नाम पद्मावती था। वह अतीव सुकुमाल अंगोपांगों वाली थी इत्यादि यावत् मानवीय काम-भोगों का उपभोगपरिभोग करती हुई समय व्यतीत कर रही थी। __ उसी चम्पा नगरी में श्रेणिक राजा की पत्नी और कुणिक राजा की छोटी माता (विमाता) काली नाम की रानी थी, जो हाथ पैर आदि सुकोमल अंग-प्रत्यंगों वाली थी यावत् सुरूपा थी। - उस काली देवी का पुत्र काल नामक कुमार था / वह सुकोमल यावत् रूप-सौन्दर्यशाली था। कुमार काल की रथ मूसल संग्राम प्रवृत्ति 6. तए णं से काले कुमारे अन्नया कयाइ तिहिं दन्तिसहस्सेहि, तिहि रहसहस्सेहि, तिहिं आससहस्सेहि, तिहि मणुयकोडोहि, गरुलवू हे एक्कारसमेणं खण्डेणं कूणिएणं रम्ना सद्धि रहमुसलं संगामं ओयाए / 6. तदनन्तर किसी समय काल कुमार तीन हजार हाथियों, तीन हजार रथों, तीन हजार अश्वों और तीन कोटि मनुष्यों (तीन करोड़ सैनिकों) को लेकर गरुड व्यूह में, ग्यारहवें खण्ड-अंश के भागीदार कूणिक राजा के साथ रथमूसल संग्राम' में प्रवृत्त हुआ। 1. रथमूसल संग्राम-~-इस प्रकार के नामकरण का कारण भगवती सूत्र श. 7-9 में देखिए / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org