Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ [पुष्पिका भोजनों का अनशन द्वारा छेदन कर आलोचना-प्रतिक्रमणपूर्वक समाधि प्राप्त कर मरणकाल आने पर काल करके सौधर्म कल्प के पूर्णभद्र विमान की उपपातसभा में देवशैया पर देव रूप से उत्पन्न हुया / यावत् भाषा-मन पर्याप्ति से पर्याप्त भाव को प्राप्त किया। इस प्रकार से हे गौतम ! पूर्णभद्र देव ने वह दिव्य देव-ऋद्धि प्राप्त यावत् अधिगत की है। भदन्त ! पूर्णभद्र देव की कितने काल की स्थिति बताई है ? गौतम स्वामी ने भगवान् से पूछा। ___भगवान् ने उत्तर दिया---'गौतम ! उसकी दो सागरोपम की स्थिति है।' गौतम ने पुनः पूछा-'भगवन् ! वह पूर्णभद्र देव उस देवलोक से च्यवन करके कहाँ जाएगा? कहाँ उत्पन्न होगा?' भगवान् ने कहा-'गौतम ! महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होकर सिद्ध होगा यावत् सर्व दुःखों का अन्त करेगा।' 59. निक्खेवनो---तं एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पुल्फियाणं पंचमस्स प्रजायणस्स अयम? पणते तिबेमि। - [59] आयुष्मन् जम्बू ! श्रमण यावत् मुक्तिप्राप्त भगवान् ने पुष्पिका उपांग के पांचवें अध्ययन का यह भाव निरूपण किया है, ऐसा मैं कहता हूँ। पंचम अध्ययन समाप्त। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org