Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ 2-10 वाँ अध्ययन - 11. एवं सेसाण वि नवण्हं भावियन्वं / सरिसनामा विमाणा। सोहम्मे कप्पे पुब्वभयो / नयरचेइयपियमाईणं अपणो य नामादि जहा संगहणीए / सम्वा पासस्स अन्तिए निक्खन्ता / तानो पुष्फलाणं सिस्सिणीयानो, सरीरवाप्रोसियाओ, सम्वाओ अणन्तरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिन्ति / // पुप्फचूलाओ समत्तानो॥ (11) इसी प्रकार शेष नौ अध्ययनों का भी वर्णन करना चाहिए / मरण के पश्चात् अपनेअपने नाम के अनुरूप नाम वाले विमानों में उनकी उत्पत्ति हुई / यथा-ह्री देवी की ह्री विमान में, धति देवी की धृति विमान में, कीति देवी की कीत्ति नामक विमान में, बुद्धि देवी की बुद्धिविमान में आदि / सभी-का सौधर्मकल्प में उत्पाद हुआ / उनका पूर्वभव भूता के समान है। नगर, चैत्य, मातापिता और अपने नाम आदि संग्रहणीगाथा के अनुसार हैं। सभी पार्श्व अर्हत् से प्रवजित हुई और वे पुष्पचला आर्या की शिष्याएँ हुईं। सभी शरीरबकुशिका हुई और देवलोक के भव के अनन्तर च्यवन करके महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर सिद्ध होंगी। // द्वितीय से दशम अध्ययन समाप्त / // पुष्पचूलिका उपांग समाप्त // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org