Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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________________ वर्ग 5 : प्रथम अध्ययन] [113 ग्रन्थ को अंतिम प्रशस्ति 21. निरयावलियासुयखन्धो समत्तो / समत्ताणि उवङ्गाणि / निरयावलियाउवङ्गणं एगो सुयखन्धो, पञ्च वग्गो पञ्चसु दिवसेसु उद्दिस्सन्ति / तत्थ चउसु वग्गेसु दस दस उद्देसगा, पञ्चमवग्गे बारस उद्देसगा। ॥निरयावलियासुत्तं समत्तं // [21] निरयावलिका नामक श्रुतस्कंध समाप्त हुआ। इसके साथ ही (पांच) उपांगों का वर्णन भी पूर्ण हुना। निरयावलिका उपांग में एक श्रुतस्कन्ध है। उसके पांच वर्ग हैं, जिनका पांच दिनों में निरूपण किया जाता है। आदि के चार वर्गों में दस-दस उद्देशक हैं और पांचवें वर्ग में बारह उद्देशक हैं। ॥निरयावलिका सूत्र समाप्त // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org