Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsur Gyanmandir
संक्रममाणे २ जाव सव्वलंत उवसंकमति तहेव एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एसणं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स प्रज्जवसाणे, गाहाओ १३॥ पढमे बीयं पाहडपाहडं १-२॥ ता के ते चिन्न पडिचरति आहितेति वदेजा?, तत्थ खलु इमे दुवे सूरिया पं० ० - भारहे चेव सूरिए एरवए चेव सूरिए,
या पत्तेयं२तीसाए २महत्तेहिं एगमेगं अद्धमंडलंचरंति.सदीए महत्तेहिं एगमेगं मंडलंसंघातंति, ताणिक्खममाणे खलु एते दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, तं सतमेगं चोतालं, तत्थ को हेऊ वदेज्जा? ता अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं, तत्थ णं अयं भारहए चेव सूरिए जंबुद्दीवस्स० पाईणपडीणायतउदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलंचवीसएणंसतेणं छेत्ता दाहिणपुरस्थिभिलंसिचउभागमंडलंसि बाणउतियसरियाताई जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरति उत्तरपच्चस्थिभिलंसि चउभागमंडलंसि एकाणउतिं सूरियगताई जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरति तत्थ अयं भारहे सूरिए एरवतस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स पाईणपडिणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्त। उत्तरपुरच्छिभिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउतिं सूरियाताई जाई सूरिए परस्स चिण्णाई पडिचरति दाहिणपच्चच्छिमिलंसि चउब्भागमंडलंसि एकूणणउतिं सूरियगताई जाई सूरिए परस्स चेव चिण्णाई पडिचरति, तत्थ अयं एरवए सूरिए० जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरथिमिलसि ॥ श्री सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥
|पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133