Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 128
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir तिले तिलपुष्पवण्णे दगे दगवण्णे काये वंधे इंदग्गी धूमकेतू हरी पिंगलए ४० बुधे सुक्के बहस्सती राहू अगत्थी माणवए कामफासे धुरे पमुहे वियडे ५० विसंधिकम्पेल्लए पल्ले जडियालए अरुणे अग्गिल्लए काले महाकाले सोत्थिए सोवत्थिए वद्धमाणगे ६० पलंबे णिच्चालोए णिचुच्चोते सयंपभे ओभासे सेयंकरे खेमंकरे आभंकरे पभंकरे अरए ७० विरए असोगे वीतसोगे य (प्र०विमले ) विवत्ते विवत्थे विसाले साले सुव्वते अणियट्टी एगजडी ८० दुजडी कर करिए रायग्गले पुप्फकेतू भावे केतू, संग्रहणी - 'इंगालए वियालए लोहितंके सणिच्छरे चेव । आहुणिए पाहुणिए कणकसणामावि पंचेव ॥८९॥ सोमे सहिते अस्सासणे य कज्जोवए य कव्वरए । अयकरए दुंदुभए संखसणामावि तिष्णेव ॥ ९० ॥ तिन्नेव कंसणामा णीले रुप्पी य हुँति चत्तारि। भास तिल पुण्फवण्णे दगवण्णे काय वंधेय ॥ ९१ ॥ इंदग्गी धूमकेतू हरि पिंगलए बुधे य सुक्के यो बहसति राहु अगत्थी माणवए कामफासे य॥ ९२ ॥ धुरए पमुहे वियडे विसंधिकप्पे नियडि पयले यो जडियालए य अरुणे अग्गिल काले महाकाले ॥९३॥ सोत्थिये सोवत्थिये वद्धमाणग तथा पलंबे यो णिच्चालोए णिच्चुज्जोए सयंपभे चेव ओभासे ॥९४॥ सेयंकर खेमंकर आभंकर पभंकरे य बोद्धव्वे । अरए विरए य तहा असोग तह वीतसोगे य ॥ ९५ ॥ विलमे वितत विवत्थे विसाल तह साल सुव्वते चेव । अणियट्टी एगजडी य होइ बिजडी य बोद्धव्वो ॥ ९६ ॥ कर करिए रायग्गल बोद्धव्वे पुष्प भाव केतू या अट्ठासीति गहा खलु णेयव्वा आणुपुव्वीए ॥९७॥१०६ ॥२० पाहुडं ॥ ॥ श्री सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥ www.kobatirth.org ११७ For Private And Personal पू. सागरजी म. संशोधित

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