Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir
छप्पण्णं धातईसंडे ॥ ३९ ॥ अद्वेव सत्सहस्सा तिण्णि सहस्साइं सत्त य सताई | धायइसंडे दीवे तारागणकोडिकोडीणं ॥ ४० ॥ ता धायईसंडं णं दीवं कालोए णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठगणसंठिते जाव णो विसमचक्कवालसंवगणसंठिते, ता कालोए णं समुद्दे केवतियं चक्रवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहि० ?, ता कालोए णं समुद्दे अट्ठ जोयणसत्सहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं पं० एक्काणउतिं जोयणसयसहस्साइं सत्तरिं च सहस्साइं छच्च पंचुत्तरे जोयणसते किंचिविसेसाधिए परिक्खेवेणं आहि०, ता कालोये णं समुद्दे केवतिया चंदा पभासेंसु वा० पुच्छा, ता कालोए समुद्दे बातालीसं चंदा पभासेंसु वा० बायालीसं सूरिया तवेंसु वा० एक्कारस छावत्तरा णक्खत्तसता जोयं जोइंस वा० तिनि सहस्सा छव्व छन्नउया महगहसया चारं चरिंसु वा० अट्ठावीसं च सयसहस्साई बारस सहस्साई नव य सयाई पण्णासा तारागणकोडिकोडीओ सोभं सोभेंसु वा०, एक्काणउई सतराई सत्सहस्साइं परिरतो तस्स । अहियाई छच्च पंचुतराई कालोदधिवरस्स ॥ ४१ ॥ बातालीसं चंदा बातालीसं च दिणकरा दित्ता । कालोदधिमि एते चरंति संबद्धले सागा ॥ ४२ ॥ णक्खत्तसहस्सं एगमेव छावत्तरं च सतमण्णी छच्च सया छण्ण्उया महग्गहा तिण्णि य सहस्सा ॥ ४३ ॥ अट्ठावीसं कालोदहिंमि बारस य सहसहस्साई । णव य सया पण्णासा तारागणकोडिकोडीणं ॥ ४४ ॥ ता कालोयं णं समुहं पुक्खरवरे णामं दीवे वट्टे वलयाकार संगणसंठिते सव्वतो समंता संपरिकिखवित्ताणं चिट्ठति, ता पुक्खरवरे णं दीवे किं समचक्कवालसंठिए विसमचक्कवालसंठिए ?, ता समचक्कवालसंठिए नो विसमचक्कवालसंठिए, ता पुक्खरवरे णं दीवे केवइयं चक्कवालविकखंभेणं
॥ श्री सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥
१०४
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133