Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 114
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org परिकखेवेणं आहि०, ता लवणसमुद्दे केवतिया चंदा पभासेंसु वा० ?, एवं पुच्छा जाव केवतियाउ तारागणकोडिकोडीओ सोभेसा | वा०?, ता लवणे णं समुद्दे चत्तारि चंदा पभासेंसु वा० चत्तारि सूरिया तवइंसु वा० बारस णक्खत्तसतं जोयं जोएंसु वा० तिण्णि बावण्णा महग्गहसता चारं चरिंसु वा० दो सत्सहस्सा सत्तद्विं च सहस्सा णव य सता तारागणकोडीकोडीणं सोभिसु वा०, पण्णरस सत्सहस्सा एक्कासीतं सतं चक्रतालं । किंचिविसेसेणूणो लवणोदधिणो परिक्खेवो ॥ ३४ ॥ चत्तारि चेव चंदा चत्तारि य सूरिया लवणतोये। बारस णक्खत्तसयं गहाण तिण्णेव बावण्णा ॥ ३५ ॥ दोच्चेव सत्सहस्सा सत्तट्ठि खलु भवे सहस्साइं । णव य सता लवणजले तारागणकोडिकोडीणं ॥ ३६ ॥ ता लवणसमुदं धातईसंडे णामं दीवे वट्टे वलयाकार संठिते तहेव जाव णो विसमचक्कवालसंठिते, धातईसंडे णं दीवे के वतियं चक्रवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहि ०? ता चत्तारि जोयणसतसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं ईतालीसं जोयणसतसहस्साइं दस य सहस्साइं णव य एकट्ठे जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं आहि०, धातईसंडे दीवे केवतिया चंदा पभासेंसु वा० पुच्छा, ता धातईसंडे णं दीवे बारस चंदा पभासेंसु वा० बारस सूरिया तवेंसु वा० तिण्णि छत्तीसा णक्खत्तसता जोअं जोएंसु वा० एगं छप्पण्णं महग्गहसहस्सं चारं चरिंसु वा०- अद्वेव सतसहस्सा तिण्णि सहस्साइं सत्त य सयाई। एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीओ ॥ ३७॥ सोभं सोभेंसु वा०, धातईसंडपरिरओ ईताल दसुत्तरा सत्सहस्सा।। णव य सता एगट्ठा किंचिविसेसेण परिहीणा ॥ ३८ ॥ चउवीसं ससिरविणो णक्खत्तसता य तिण्णि छत्तीसा । एवं च गहसहस्सं ॥ श्री सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित १०३ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir For Private And Personal

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