Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 119
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shn Kailashsagarsuri Gyanmandir चंदो ? परिहाणी केण हुंति चंदस्स ? कालो वा जुण्हा वा केणऽणुभावेण चंदस्म ॥७२॥ किण्हं राहुविमाणं णिच्चं चंदेण होइ अविरहिती चतुरंगुलमप्पत्तं हिट्ठा चंदस्स तं चरति ॥७३॥ बावढेि २ दिवसे २ तु सुक्लपक्खस्सोज परिवड्ढति चंदो खवेइतं चेव कालेणं ॥७४॥ पण्णरसहभागेण य चंदं पण्णरसमेव तं वरतिपण्णरसतिभागेण य पुणोवि तं चेव ववमति ॥ ७५॥ एवं वड्दति चंदो परिहाणी एव होइ चंदस्सो कालो वा जुण्हा वा एवष्णुभावेण चंदस्स ॥ ७६॥ अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोवगा तु उववण्णा। पंचविहा जोतिसिया चंदा सूरा गहगणा य ॥ ७७॥ तेण परं जे सेसा चंदादिच्चाहतारणक्खत्ता। णत्थि गती णवि चारो अवहिता ते मुणेयव्वा ॥ ७८॥ एवं जंबुद्दीवे दुगुणा लवणे चउग्गुणा हुंति लावणगा य तिगुणिता ससिसूरा धायईसंडे ॥ ७९॥ दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सायरे लवणतोए। धायइसंडे दीवे बारस चंदा य सूरा य ॥ ८०॥ धातइसंडप्पभितिसु उहिट्ठा तिगुणिता भवे चंदा आदिलचंदसहिता अणंतराणंतरे खेत्ते ॥८१॥ रिक्खग्गहतारग्गं दीवसमुद्दे जहिच्छसी गाउं तस्स ससीहिं ||गुणितं रिक्खगहतारगरगं तु ॥ ८२॥ बहिता तु माणुसनगस्स चंदसूराणऽवद्विता जोण्हा। चंदा अभीयीजुत्ता सूरा पुण हुँति पुस्सेहिं| ॥ ८३॥ चंदातो सूरस्स य सूरा चंदस्स अंतरं होइ। पण्णाससहस्साई तु जोयणाणं अणूणाई ॥ ८४॥ सूरस्स य सूरस्स य समिणो |ससिणो य अंतर होइ। बाहिं तु माणुसनगरस जोयणाणं सतसहस्सं ॥ ८५॥ सूरतरिया चंदा चंदंतरिया य दिणयरा दित्ता। चित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदलेसा य ॥८६॥अट्ठासीतिं च गहा अट्ठावीसं च हुँति नक्खत्ता एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वाच्छामि || श्री सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥ | १०८ पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal

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