Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Arachana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailashsagarsun Gyanmandir
सहिभागं च एगसहिहा छेत्ता अउणावीसाए चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुमासं हव्वमागच्छति, तता णं दिवसराई तहेव, ||१८६२७ १२६३), से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चसि अहोरत्तंसि अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकभित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए
अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकभित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साई दोण्णि य बावणे जोयणसते पंच य सहिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छति, तता णं इहगतस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं छण्णउतीए य जोयणेहिं तेत्तीसाए य सहिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्ठिया छेत्ता दोहिं चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुष्कासं हव्वमागच्छति, तता णं दिवसराई तहेव, एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तताणंतराओ तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संक्रममाणे २ अट्ठारस २ सहिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहत्तगतिं अभिवुड्ढेमाणे २ चुलसीति २ जोयणाइं पुरिसच्छायं णिवुड्ढेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साई तिन्त्रि य पंचुत्तरे जोयणसते पण्णरस यं सहिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगतस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहिं अहिं एकतीसेहिं जोयणसतेहिं तीसाए य सहिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फास हव्वमागच्छति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उछोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स प्रज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चार ॥ श्री सूर्यप्रज्ञप्त्युपाङ्गम् ॥
| २६ ।
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133