Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
mirm.kobatimorg
Acharya Shirt Kailashsagaset Gyanmandir
सवणे णखत्ते किंगोत्ते?, संखायणसगोत्ते पं०, धणिहाणखत्ते अग्गितावसगोने पं०, सतभिसयाणक्खत्ते कण्णलो (५० कल्लो)यणसगोत्ने पं०, पुव्वापोट्ठवताणक्खत्ते जोउकण्णियसगोत्ते पं०, उत्तरापोट्ठवताणखत्ते धणंजयसगोत्ते पं०,रेवतीणखत्ते पुस्सायणसगोत्ते पं०, अस्सिणीनखत्ते अस्सादणसगोत्ते पं०, भरणीणखत्ते भग्गवेससगोत्ते पं०, कत्तियाणक्खत्ते अग्गिवेससगोत्ते |पं० रोहिणीणखत्ते गोतमसगोत्ते पं०,संठाणाणक्खत्ते भारद्दायसगोत्ते पं०,अहाणक्खत्ते लोहिच्चायणसगोत्ते पं०,पुणव्वसुणखत्ते वासिट्ठसगोत्ते पं०, पुस्से उमजायणसगोत्ते पं०, अस्सेसा मंडव्वायणसगोत्ते पं०, महाण. पिंगायणसगोत्ते पं०, पुव्वाफग्गुणी० गोवल्लायणसगोत्ते पं०,उत्तराफग्गुणी० कासवसगोत्ते पं०, हत्थे० कोसियगोत्ते पं०,चित्ता० दब्भियायणसगोत्ते पं०,साई० वामरछगोत्ते |पं०, विसाहा० सुंगायणसगोत्ते पं०, अणुराधा० गोलव्वायणसगोत्ते पं०, जेद्वा० तिगिच्छायणसगोत्ते पं०, मूले० कच्चायणसगोत्ते पं०, |पुव्वासादा० वझियायणसगोत्ते पं०, उत्तरासादाणक्खत्ते किंगोत्ते पं०?, वग्धावच्चसगोत्ते पं० ५०॥१०-१६॥ __ता कहं ते भोयणा आहि०?, ता एएसिं णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कत्तियाहिं दधिणा भोच्चा कजं साधिति, रोहिणीहि | वसभमंसं भोच्चा कजं साधेति, संठाणाहिं भिगमंसं० अद्दाहिं णवणीतेण भोच्चा० पुणव्वसुणा घतेण० पुस्सेणं खीरण० अस्सेसाए दीवगमसं० महाहिं कसरि० पुव्वाहिं फग्गुणीहिं मढकमसं० उत्तराहिं फग्गुणीहिं णक्खी( प्र० भी मंसं० हत्थेण वत्थाणीपण्णं० चित्ताहिं मुग्गसूवेणं० सादिणा फलाइं० विसाहाहिं आसित्ति(प्र० सियाओ० अणुराहाहिं मिस्सकूरं० जेहाहिं ओलट्ठिएणं० श्री सूर्यप्रजप्त्युपाङ्गम् ॥
| ६२
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133