Book Title: Agam 16 Upang 05 Surya Pragnapti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 110
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarseri Gyanmandir |वा?, ता चंदेहितो सूरा सिग्धगती सूरेहितो गहा सिग्धगती गहेहितो णक्खत्ता, सिग्धगती णक्खत्तेहितो तारा सिग्धगती, सव्वप्पगती चंदा सव्वसिग्धगती तारा, ता एएसिं णं चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारूवाणं क्यरे २ हिंतो अप्पिड्ढिया वा महिड्ढिया वा?, ताराहिंतो महड्ढिया णक्खत्ता णक्खत्तेहिंतो गहा महिड्ढिया गहेहिंतो सूरा महिड्ढिया सूरेहिंतो चंदा महिड्ढिया, सव्वप्पड्ढिया तारा सव्वमहिढिया चंदा ९५ ता जंबुद्दीवे णं दीवे तारारुवस्स २ य एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पं०?, दुविहे अंतरे पं० २० वाघातिमे य णिव्वाधातिमे य, तत्थ णं जे से वाघातिमे से जह० दोण्णि छावढे जोयणसते उक्को० बारस जोयणसहस्साई दोण्णि बाताले जोयणसते तारारूवस्स २ अबाधाए अंतरे पं०, तत्थ जे से निव्वाघातिमे से जह० पंच धणुसताई उको० अद्धजोयणं तारारूवस्स २ २ अबाधाए अंतरे पं० १९६१ ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो कति अगमहिसीओ पं०?, ता चत्तारि अगमहिसीओ पं० २०-चंदप्पमा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, तत्थ णं एगभेगाए देवीए चत्तारि देवीसाहस्सी परियारे पं०, पभू णं तातो एगमेगा देवी अण्णाइं चत्तारि २ देवीसहस्साई परिवार विउव्वित्तए, एवामेव सपुव्वावेणं सोलस देवीसहस्सा, सेत्तं तुडिए, ता पभू णं चंदे जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुधम्माए तुडिएणं सद्धि दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए ?, णो इणढे समटे, ता कहं ते णो पभू जोतिसिंदे जोतिसराया चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुधम्माए तुडिएणं सद्धि दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए ?, ता चदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो चंदवडिंसए विमाणे सभाए सुधम्माए माणवए ॥ श्री सूर्यप्रजप्त्युपाङ्गम् ॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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