Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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उवटुव-उवलालिज्जमाण
Vउवठ्ठव (स्थापय ) उवट्ठति ज ३१२०८, उबभोग (उपभोग) ११४६
१५. उबट्ठति ज ३११२० उपट्ठवह उवभोगतराय (उपभोगान्तराय) प २३१२३ म २१५.४:३।२०७ उ११७
उवमा (उपमा) प २६४।१७:३५।२५,२६ उववेत्ता (उपस्थाप्य) ११७
ज ३१२४।४३०२,४५१२,१३१४ उ ३१६८ उवाइ (उपस्थायिन् ) ज ३।३२१
उवयार (उपचार) प २३०,३१,४१ ज २।१०, उववासाला (जस्थानशाला) ५,१२,१७, १५.६५:३७,१२,८८,१३८,४११६६,५१७,
२१,२८,३४,४१, ४६५८,६६,३४,७७,१३५, ५८,७१३३११ मू २०१७ १४७,१५१,१७७,१८८,२१६ उश१६,४१,
उवयारियालयण (उपकारिकालयन) ज ४१११८ ४२,१२४,४।१२:११६
उवरक्खिय (उपरक्षित) प२।३०,३१,४१ उदिव्य (उपस्थित) ११२०
उरि (उपरि) प २२१ से २७,३० से ३६,४१ उवणी (उमणी ) उवर्ण६ ज ३१२६,३६,४०,
मे ४३,४५१२१३२ ज ११३५,४।१५६।१, ४७,५६,६४,७२,१३३,१४५,१५१ उवणेति ब ३८१,१२६:१६१ । १।४५ उवह
उरितल (उपरितल) ४।१४२६१,२,४।२१३
उरिम (उपरितन) प २१२७।३,६२११ उवणीयअवगीयवयण (उपनीतापनीत वचन)
उरिमउवरिमगवेज्जग (उपरितनोपरितनग्रेवेयक) प११८६
प१११३७,४१२६१ से २६३७१२८,२८१६५ उवणीयवयण (उपनीतवचन) प ११८६
उवरिमगवेज्जग (उपरितनग्रंवेयक) प २१६२ उवणेत्ता (उपनीथ) 1३।१२६
३११८३,६।४१,५६,२०१६१:३३:१७ उवत्या मिया (स्थानिका) । ३१२६,३६,४७,
उपरिमगेवेज्जय (उपरितनग्न व्यक) ५ २०६१
उरिममज्झिम (उपरितनमध्यम) प२८१९४ Vउवः (- ) उवदमहज 21५७,५८, १२.१४ : ११२३ उवाति) ज ५१५७
उरिममजिसमगेवेज्जग (उपरितनमध्यमग्रेवेयक) "वदराति गू२०१२
प११३७४१२८८ मे २६०७।२७ उपसण (दन २६१
उरिमठिम (उपरितनाधस्तन) १२८१९३ उपसाप (दशयितुम् ) 3 ३१११२
उरिमठिमगवेज्जग (उपरितनाधस्तनप्रैवे. क) उत्तिा (उपदश्य) उ३।२१५
प१११३७४२८५ मे २८७७१२६ उबदस्यि (उपदोस) ५१।११२
उरिल्ल (उपरितन) प २१६४:५११३१.१३४, उतरता (पद) प ५१५८
१३६,१४०,१४३,१६६,१६६,१८१,१८४, उवयंसेमाण (उपदशंयत्) ३४१२२ ज ५१४४
१६३,१६७,२००,२२८,२३४:१६।३४; सु २०१३
२२१५१,२०,७१.२४ ज २१११३;४१२५३, उतक्टिठ (जगदिष्ट) प ११०१४ च ४३
२५६,२५६१७३ से १७५ सू १८६१ Vउदिम (उस दिश) उवदिगई प २१६४ ।। उरिल्लय (उपरितन) प २८११४३ उदणि सिता उपदिश्व) पश६४
उवल (उपल) प १२०१ ज ४।२५४ उपदा (उपद्रव) २१४०।३।१०५
उवलद्ध (उपलब्ध) प ११०११६ उ ३।१०१ उवप्पयाण (उपादान) १३१
उवलालिज्जमाण (उपलाल्यमान) ज ३१८२,१८७, उयबूह (प ) ११०१:१४
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