Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 718
________________ १०७४ ज ५।४१।२२।२२ सहस्सारग (सहस्रारक) प ६।११२७।१५; ३३।१६ सहस्वार सहि (सखि ) ज २१२६,६६ सहित] (मति) सू१२।२२।२५ पहिय ( सहित ) प २६।२१ ज २०१५६३।३१,२५, (गारावतंसक ) प २५७ १५६,७११८६२ २०१८, २०१६१२ सहोयर (सहोदर ) उ १६५ साइ (स्थाति) ७१२८१३४२११५४२११६, १४०, १४६, १६५, १७५ राम ( बाद्य) ३ ५०,५५,१०१,११०,१३४, *= साइयार (गातिभार) १२६ साइरेग (सातिरेक ) प १८७६ : २३।६५ ज ११३५, ४०,५१:२।१२८,१४८,४६, १४२३,३१,३८, ४१,६५,६८,७३,९०,६१,११६,११६.१२२, १३६,१४६, १४७,२१६,२४२, ७।२५,१६६, २०७८११८२१७ वाउफल (रु) २।१२ साए (साकेत ) प ११६९३२ सागर (सागर) २२६८३३,७६,७६,८१.१०५. ११६,१२६०४, १२५,१४१,१७०,१८४१६८ २०१, २२१:४।१९२।१,२३६५०३२.१८ ज २२६६,३३,७६,७६,८१,१०२,११६, १२६४४,१२६,१५१.१७०,१०५.१८८२०६ उ २।१२:५।१० सागरकूड (सरकूट ) ज ४११६४ सागरचित गर सागरचितकूड ( साथ ४४२३६ काय (आप) Jain Education International ४१,३,४,६,७,१.१०. १२.१३.१५,१६,१०,१९,२१.२२, २४, २५, २७, २१,३३,२७,१६,२०७, २०६,२१३.२१५, २२५.२२७,२३७, २३९,२४०, २४२, २४३, २४५,२४६, २४८ २४६.२५१.२२.२५४, ६६,६८,६६,७३ २५५,२५७,२५८,२६०.२६१,२६३, २६४, २६६, २६७,२६, २७०,२७२, २७३२७५, २७६,२७८,२७६,२६१.२२.२६४, २८५. २६७,२०० २१०.६११,२६३ २९४, १६, २१७,२६११८१२,१६,१९,२४,२८,३१, ३६,४२,४४,४६,४८४२५४६१६७४ ७६,७९,८४,८५,९७,१६२११२१४६० से $5,52,53 0,22, २५ मे २९.१०१ २०४.१११ ११४. ११६ से ११८, १० मे १३१,१३३ से १३५.११८, १४०, १८२१४३१५१.१५२, १५२ से १५७,१६०, १६४.११६ से १६०,१७१ से १७३.२७५ से १७७.११० १२० २४४६.५४,११,१२९, १५४. १६०,१६३ ९४१:११ १२९, १४०: ३११५०, १६४,१.४० सहस्सा रंग साडय मगार (कार) प ९४२२२३१६५,१६२ से २०१३ २६।११:१००२६,२० २२१६४११६२११,२३८५०३२,५८१६०३१.३१०६१७४ परिणाम २०१५ से १५, २०,२२,२३ सागारपणा (क) ३०१२७ सागारवा (०३०१,२,५,६, १२.१९.२१ नावारामागारी उस (सागराकारोपयुक्त) २८।११२ १३९४ ९९ २१३६४१२ हमारी (मा.)२१११,२,५.६, = 8,29 गनोरिया) ४१३८ (नाटक) १११२५ १९६ (११२७६७७ afone (ref. लाड (जाट) ΓΕ For Private & Personal Use Only ७६.२१,५६,३६,७७ 122 www.jainelibrary.org

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