Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 727
________________ सुप्पइण्णा-मुरभि १०८३ सुप्पइण्णा (सुप्रकीर्णा) ज ५१ सुमिणपाठग (स्वप्नपाठक) उ ११३३ सुप्पबुद्धा (यूप्रवुद्धा) ज ४१५७११;५६१ सुमेहा (सुमेघा) ज४।२३८,६१ सुप्पभा (सुप्रभा) ज ७११७८ सुय (श्रुत) प ११११२,३,१५१०११६:१३।१० सुप्पमाण (नुप्रमाण) ज २०१५ चं १३ सुप्पमाणतर (प्रमाणतर) ज ४११०२ सुय (शुक) प १७।१२४ सुफुल्ल (फुल्ल) ज ३३१०० सुय (शुक) १ ११४२११ बालतण सुबद्ध (गुबद्ध) ज ११५, ७।१७८ सुयअण्णाण (श्रुत!ज्ञान) प ५१५,१०,१४,१६,१८, सुबहु (सुवहु) उ ३१५०,५५ ६३:२६।२,६,२१, ३०१२,६,६,११,१६,२१ सुभि (१) प १३।२७,३१; २३।१०६ सुयअण्णाणपरिणाम (श्रुताज्ञानपरिणाम) प १३३१० सुभिगंध (सुगन्ध) प ११४ से ६५५,७,२०५; सयअण्णाणि (श्रुताज्ञानिन्) प ५१६५,६६१३।१४, ११।५६,१७।१३७,२८।२६,३२,६६ १६,१७,१८।८३२८।१३७,३०११६ सुभ (शुभ) प २८११०५ ज १११३,३०,३३,३६; सुयक्खंध (श्रुतस्कन्ध) उ ५१४५ ३१२२३,४।२ सुयणाण (श्रुतज्ञान) प १२१०१८,५५,७८,६३; सिभ (शुभ) सोभंति सू१६।११ सोभिमुसु १६५ १७.११२,११३, २०१७,१८,३४,२६२,६, सोभिस्संति सू १९१ सोभेति ।। १६१ १२:३०१२,२१ सीभेनु सू १९११ सोभेस्संति सू १६॥३८ सुयमाणारिय (श्रुतज्ञानार्य) प ११६६ सुभंकर (शुभंकर) ज ३1८८ सुयणाणि (श्रुतज्ञानिन् ) प ३३१०१,१०३; १३।१४, सुभग (शुभग) ॥ १।४८१४४,११५० ज ४।३,२५; १७; १८।८० ; ३०११६,२३ ५६८,७१७८ सू २००४ सुयतोंड (शुकतोण्ड) ज ३३५ सुभगणाम (शुभगनामन्) प २३।३८,१२४ सुयनाणपरिणाम (श्रुतज्ञानपरिणाम) प १३16 सुभयत्त (शुभ त्व) प ३४१२० सुयधम्म (श्रुतधर्म) ५ १।१०१।१२ सुभगा (सुभगा) प १४४०१२ ज ४११६४,५३१११ सभणाम (शुमनामन्) प २३११६,३८,१२३ स्यपुच्छ (शुकपिच्छ) प १७।१२४ सुभद्द (अभद्र) उ १२ सुयाह (शुकमुख) ज ३।१८८ सुभद्दा (सुभद्रा) ज २१७७,३११३८,४१५७२ सुविट (शुभवृन्त) प ११५० उ ३६७,९८,१०१ से १२०,१४९२२ सुधिसिठ्ठया (श्रुतविशिष्टता) ज २३१२१ सुभय (शुभग) प ११४६ सविहीणया (श्रुतविहीनता) ज २३१२२ सुभय (शुभक) उ ५१५ सुयात (सुजात) ज ३११०६ सुभा (शुभा) ज ४।२०२२ सुर (सुर) ५ २०६४।१५, ३११६१ ज ३।११७ सुभोगा (मुभोगा) ज ४११६४५.११ सुरइय (सुरचित) प २१४१ सुमणवाम (रामनोदामन्) ज ३।२११,५२५५,५८ सुरट्ठ (सौराष्ट्र ) प ११६३।३ सुमणसा (गुमनस्) प ११४०१३ मालतीपुष्पलता सुरत्त (सुरक्त) ज ७१७८ सुमणा (गमनन्) ज ४११५७१२,२०३ सुरप्पिय (मुरप्रिय) उ ५७,८ सुमहग्ध (मभहाध्य) ज ३१६,२२२ सरभि (सुरभि) प २।३१,४१,२३।४८ ज २।१२, सुमहुर (धुर) उ ३१६८ १६,३७,६,३०,८,१०६,२०६,२११,५१५, सुमिण (स्वप्न) उ १८३३,२१८,५११३,२५,३१ ७,१४,२१,५६,५८,७१७८ उ३११३१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745