Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१०७६
सारंग (सारङ्ग) प १०५१ ज ३१३ सारकल्ला (सारण ) प १०४३।१ सारक्छ (र) सारखनिज २०४९, ५२, ५६ सारक्रिति ज २।१५६,१६१ सारवखमाण (संत) उ १५७,५०.८२, ८३ सारक्रिजमान (२०४२ सारविखत्ता ( संरक्ष्य ) ज २२४६ सारय ( शारद) ज ३।११७
सारस (सारस) १७६ २०१२ ५१५. सारहि (सारवि) ज ३०२५, १७८ सावि ( साध्य ) प २०६४।१०
सारीर (शरीर ) प ३५१११३५१६,७ सारीरमानस (शारीरमानस ) प ३५६.७
साल (शाल ) प ११३५ १,११४३११, ११४८।१४,२४ २०/२०१८
सालवण ( सालम्बन) ज २९९ से १०१
सालभंजिया (सामना)
सालवण ( शागवन ) ज २६
साला (दे० ) प १३५,३६,११४८।३३,३७
सालि (शालि ) प १२४५।१ ज २३३७३।११६६
४११३७ १७८
सालिंगण (मन) यू २०१७ सालिपिट्टति (लिपि)
१७१२८
सालिस च्छियामच्छ ( शालिसाक्षिकामत्स्य ) प १।५६
साय ( रासक) तू २०१७
१०३७५०३.२०
१४३२१२०
सामण ( श्रण) अ २१३६७।१०४.११४१२६
सू१०।१२४,१२६ ३४०
साहरिज्जमाण (संहिता) व ४।१०७ हरितात्य ११५
सावइज्ज ( स्वापते ) ज २१२४,६४
साहस्तिय (सिक) तू १६।२३,२६ उ ३ ६१
4
सावगम्भ (थादकधर्म) २४४५,७९, १०३. १०४६ साहस्ती २०३०३३,३५,४१,४२. ४० से ५६ ११४५ २९७४ से ७७.१०: ३।२२१४११७,१६,२०,११२,११२.१२६. १५०,१५११२.१५६:५१,५,६,१६,३६,४०, ४४४६४६५३,५६,६५.६७७५५,
रावतेय (स्वपतेय)
सावत्थी ( वस्ती) साक्य ( श्वापद) ज २१३६ सायय ( धावक ) अ ७२१४ साय (स्वाद) ११
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सारंग-साहारणसरीर
साविट्ठी (थाविष्ठी) ज ७१३७.१३८.१४१,
१४७, १५०,१५४ १०७, ८, २०, २३, २५, २६ साविया (भाविका) ज ७२१४ सावंत (धावयत् ज ३११७८ सास (वास) २०४३ सास ( मस्य, शा ) ज ७ । ११२१४ साग (सत्यक, शस्यक ) प ११२०/२ सास (चाक) ज ३३३५
तासन (शासन) ज ३८१,१५१११२९ सासत ( शाश्वत) ३६ ९४ सास)
२१६४,२३६४१२०, २२;
३६।६३. ६४,६४११ ज ११११,४७, ३।२२६; ४१२२,३४,५४,६४, १०२, १०७.११३.१५९. १६१७२०८ से २१० सिसमुहृत्य हस्तगत रागरागरा ज ३।११
सात ( शासत् ) ३।१७८
साह (साम) सा३१५१ साहट्टु (पहल) ज ३।१२३१।२२ (साहर (ह) स२६५३२६,३६६
२०६९
१६३५ ३२६ से ११,२१
४७,१३३५।२१,५८ साहरति ज २६६; ५११५,७०,६८, ११० स ज २६५,६७, १०६५।१४,८९ साहूगहि ज २६६
१०५ १०५१०११४ से १७२१.२३ उ ३४९.१२,२५,६० १५६, १६९, ४१५: ५।१० ताहारण (सत्वार)
४६५४५४६० महारणशरीर (साधा १३२.४०
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