Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 717
________________ ससिया-सहस्सार १०७३ ससिया (शशिका) प ११२३ ५१,५६,६०,६८,९३,६६.१०६,११७,१२०, सस्स (शस्य) रा १०११२६४ १२२,१२६॥३;३३१३०,१३६,१४०,१४५, सस्तिरीय (सश्रीक) २३०,३१,४१,४८,४६, १४६,१६३,१७२,१७५,१८०,१८५,१८६, ५६,६३,६४ ज ११३१ ; २१६४,३१६,३५,११७, १८८,१८६,२०६,२१०,२१४,२१५,२१६, १८५,२०९,२२२,४।२७,४६,५।२८,५८ २२१:२२४;४।१,२७,३५,३७,४२,४५,५२, ५५.५७,६२.६४,७१ ७७,८१,८६,८८,६०,६१, सह (मह) प २३।१५६,१६०,१६४,१७५ ६४,६८.१०३,१०८,११०,११४,११६.१५१११. ज २२५०,१६४।४।१०६,२०५७/१३५।४ १६५,१६७,१६६,१७४,१७८,१८३,२००, उ ३.३८ २०५,२१३,२१५,२३४,२४०,२५७ से २५६, Vसह (सह ) महइ ज २१६७ २६२,५१२८,३२,४३,४८,४६६१,५०,५२११, सहगत (सहगत) प २२११७ ५३,५५,५.६६८।१.१६ से २६;७।१११,७८ सहमय (सहगत) प २२१८० से २५,३१,३३,३४,५४,६७ से ८४,६५,९६, सहजायय (सहजातक) उ ३१३८ १२७,१७०,१७८।१,२,१८३,१८८,१८६,२०७ सहपंसुकीलियय (महमांशुक्रीडितक) उ ३।३८ गु १५१४,२० से २२,२६,२७,२११,३,३११; सहरिस (सहर्प) ज ३८१ ४।३ से ५,१०,६११८।१६।३।१०।१३५,१६४; सहड्ढियय (सह्वधितक) उ ३१३८ १२१२ से ७,६;१८३१.४,२०,२१,२६,२८, महसम्मुइ (स्वसंस्मृति) प १११०१२ २६; १९३१।१,१६१४,५।३,७,८१३,१०,११११, सहस्स (सहस्र) २१२१ से २७,३० से ३६,४०१५, ३,४।१६।१४,१५११,३,४,१६।१८,१६, ४१ से ४३,४६,४६ से ५२,५५ से ५७,५६, १६।२१।२,४,५,७,१६।२।२८,३२,१९३० ५६.१.३,२१६३,६४,४११,३,४,६,२५,२७,२८, उ १६१४,१५,२१,२२,२५,२६,१२१,१२६, ३०,३१,३३,३४,३६,३७,३६,४०,४२,४३, १३२,१३३,१३६,१३७,१४०,१४७,३७,६१, ४५,४६,४८,४६,२१,५२,५४,५६,५८,६२,६४, ११०,१११:४११६,१८५११७,३७ ६५,६७,६६,७१,७६,८१,८५,८७,८८,६०,६४, सहस्सक्ख (सहस्राक्ष) प १५० ज ५।८ १२५,१२७,१३४,१३६,१४३,१४५,१५२, सहस्सम्गतो (सहस्रानसस्) प १२०,२३,२६,२६, १५४,१६५,१६७,१६८,१७०,१७४,१७६, १८०,१८२,१८३,१८५,६१४०।१२।६१८२, सहस्तपत्त (सहस्रपत्र) प ११४६ ज ३८६४१३, ६,९,१२,१६,२०,२८,३२,३४,३५,४७,५०, २२,२५,३०,३४,५।५५ ५२,८५, २०१६३,२१।३८,४१,४३,४५,४७११, सहरूपत्तहत्थगय (हस्तप्तसहसपत्र) ज३१० २,२०६५.६७,८७,२३१६० से ६२,६४,६६, सहस्सपाग (सहस्रपाक) ज ५११४ ७८,५१,८४,६०.१११,१३३,१४७,१६७ से सहस्सरस्ति (सहस्ररशिम) उ ३१४८,५०,५५,६३, १६६.१७१ से १७३,१७५ से १७७,१८२, ६७,७०,७३,१०६,११८ २८।२५,४०,४३,६६,७४ से ८७,६७,३६६८, सहस्सवत्त (सहरूपत्र) ५११४८१४४ ८१ज १७१,१११६,१७,२०,२३,४६,४८; सहस्सार (सहस्रार) प १११३५; २०४६,५७.५८ २१४१३,२१६,१६,५२.५६,६५,७१,७७ से ८२, ५६।१,६३,३३३६,१८३;४/२५२ से २५४; ८८,१२६,१३०,१३४,१३८,१४०,१४६,१५४, ६६३४,५६,६५,८६,६२,१०६; १५।८८, १५६.१६१, ३।१४,१८,२२,३०,३१,३६,४३, २०१५६,६१:२११७०,६१:२८८२:३४११६,१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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