Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 715
________________ सरिसव-सविलेवण १०७१ ज ११४१,४६,२।१५,१६,३।३,३५,७६,११६, सरीरसंघातणाम (शरीरसंधारनामन्), २३१४४ १३५,१८८४१५२,१०६,१६३,१७२,१७४, सरीरसंघायणाम (शरीरगंघातनाम्न) २३१३८, १७७,२००,२०४,२१०,२१२,२२६७३१७८ मु १०११६२,१६।३१,३५,३८ उ १३१४८; । सरुव (स्वरूप) ज ५१४३ २०२२ सललिय (सलभित) चं ११ सरिसय (सदशक) ज ११४६ सलाइया (शलाकिका) ज ५१५ सरिसव (सर्षप) प ११४४१२,४५१२.११४७।२ सलामा (शलाका) ज ३.११७:५१५ ज २१३७ उ ३१३७,३८ सलिगसिद्ध (स्वलिङ्गसिद्ध) प १।१२ सरिसवय (मदृशवयम्) उ ३।३८ सलिगि (स्वलिङ्गिन) प २०१६१ सरिसवय (सर्वपक) उ ३१३८ सलिल (सलिल) ज ३७६,१०६:४१३,२५,६४ . सू३५१ सरिसवसमुग्ग (सर्षपसमुद्ग) ज ५१५५ सलिलबिल (सलिलबिल) ज २।१३१ सरिसवा (सदृश्वयम्) उ ३१३८,४०,४२ सलिला (सलिला) ज ३७६,११६४।३५,३७,४२. सरीणामय (सदग्नामक) ज ११४६ सरीर (शरीर) प १११३५,११४७।२,३,११४८१५३, ७१,७७,६०,६४,१७४,१८३,२६२,६१६३१, ६।१६ से २६ ५७; १११३०,३०१२,१२११:१४१५;१५११०,२३; सलिलावई (सलिलावती) ज ४।२१२,४।२१२।१ १६।२३।१७।१।१,२१।१११२११३८,४० से। सलील (सलील) ज २११५ ४२,४८,५३,५६,६१,६३ से ६६,६८ से ७१, सलेस (सलेश्य) प १८१६८:२८१२२,१२३ ७४,८४ से ६३,२८१११२,६८ से १०१। सलेस्स (सलेश्य) प ३१६६.१७।२८,५६ १०६६१,३६.५६,६६,७०,७४ ज २१४५,४७, सल्ल (दे०) प ११७६ ६०,३।८२,८५.१०६.१३८ सू २०१७ सल्लई (सल्लकी) प ११३५।१,११३७११ उ १११६,३५,४२,३।८,२६,३५,१२७,१४१; सहलगत्तण (शल्पकर्तन) ज ५१५८ ४।१२,१८ सवंतीकरण (सवर्णीकरण) उ ११४६ सरीरंगोवंगणाम (शरीराङ्गोपाङ्गनामन्) सवण (श्रवण) ज २११५,३३२२५, ७।११३११, ५ २३१३८,४२,६२ १२८.१३०,१३६,१३८,१४१,१४६.१५६ सरीरग (शरीक) ज १९६,१००,१०३,१०४, १०७,१०८ मु १०१ से ६,८,२०,२३,२८,५६,६३,७५, ७६,६३.१२०,१२,१३० से १३५; १५९ सरोरणाम (शरीरनामन् ) प २३।३८,४१,८६ से सवणता (थत्रण)२०२८ ६३,१४६,१७३,१७४ सरीरस्थ (शरीरस्थ) प ३६८५ सवथा (थयण) प २०११७,१८,२२,२५,२६, सरीरपज्जत्ति (शरीरपाप्ति) प २८।१४२,१४३ ३४,४५ उ १५१७.३६,४०,४२,४३ उ ३.१५,८४ सदहावित (शपथशास्ति) उ २५७,८२ सरीरबंधणणाम (शरीरबन्धननामन्) ५ २३।३८, सवालुइल्ल (सवालुक) ज ३११०६ ४३,६२ सविणय (सविय) ज ३१८१ सरीरबाओसिया (शरीरबाकु शिका) उ ४१२१,२२, सवियु (मवित ) ज ७१३०,१८६ २८ सवियादेवया (सवितृदेवता) सू१०८३ सरीरय (शरीरक) १२१२ से ५:२१।१,२११६२ सपिलेवण (सविलेपन) । ३६१८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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