Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 648
________________ १००४ भाणिय-भावेमाण ५१२४ भाणिय (भणित) ज ३१२४,१३१ भायण (भाजन) ज ३।३२ उ ११४६ भाणियव्य (भणितव्य) प १४३,४५,४७,६२; भारंडपक्खि (भारण्डपक्षिन) प १७८ ५।६१,११७,१२०,२०५,६६६१,१२३,६३४; भारग्गस (भाराग्रशस्) ज २११०६,११० १०१२८११:४१,४६,८३,८५,१२१८ से १३. भारद्दाय (भारद्वाज) ज ७.१३२२ सू १०।१०३ १५ से १७,२१,२५,१५।३०,५६,६२,८४, भारह (भारत) ज २३४,३५,२।१३।१३५२२ १०२,१०३,१२१,१३४,१३८,१४०।१६।१८, सू११८,१६,४१३ उ १२६,३२१२५,१५७; २१,३२,१७७,२८,२६,३३,३५,६५,७०,७७, ८६,६७,१०२,१०३,१०५,१४६,१४८,१६५, भारहग (भारतक) ज ४१२५० १६७,२०१२५,२६,२११३५,४३,७७,८०,९४; भारहय (भारतक) सू ११६ २२२०,२५,२८,३३,३५,४१,४५,५४,५८, मारियत्त (भार्यत्व) उ ३११२८ ५३,८४,८६२३३१००,१०८,१५२,१५६, भारिया (भार्या) ज २१६३ सू २०१७ उ ३६७, १६०,१६४,१६७,१७५,१७६,१६०,१६१; ११२,१२८,४१८ भाव (भाव) प १३१२,१०१॥३,४,६,२१६४।१३; ५,२८।१०,२५,५६,८७,१०२,१४५:२६।१५, १११३३।१ ज २२६६,७१ उ ३१४३,४४ ३४।२१,३६।२०,२४,२६ से ३०,३२,३४,४६, भावओ (भावनस्) प १११४८,५२,५३,५५; ४७,६५ ज १५१६,२३,२६,४४,४६,२१७, २८।५,६,६,५१,५२,५५,३५४४,५ ज २१६६ ७२,६३,३।१२६,१५५,१७१४१३,४,२५,३१, भावकेउ (भावकेतु) ज ७१८६ भावकेतु (भावकेतु) उ २०१८,२०1८18 ३६,४१,५२,५७,७०,७६,८२,८४,६०,६३, भावचरिम (भादचरम) प १०।४४,४५५३११ १०६,११०,११२,११६,११८,१२८,१६५, १७५,१७७,१८४,१६३,१६६,२०१,२०२, भावणा (भावना) ज २१७१ २०४,२०८,२१२,२१५,२१७,२२० से भावणागम' (भावनागम) ज २१७२ २२२,२२६,२३७,२४०,२४८,२४६.२६२, भावतो (भावतस्) प ११:५७,५६ २६५,२७१,५३,७,१३,३२,४६,५५,५६६५; भावरुई (भावरुचि) प ११०१११८ ६१३;७।१८६ सू ४।६१८११,१५१११; भावसच्च (भावसत्य) ज १११३३ २०१६ उ १११४७,१४८;२।२२:४१२८; भाविअप्प (भावितात्मन् ) प १५१४३ ५।१७,२५ भाविदिय (भावेन्द्रिय) प १५४५८१२,१५७६,१३३ भाणी (दे०) प ११४६,११४८१६२ से १३५,१४०,१४१,१४३ भाय (भाज) भाएंति ज ५।५७ मावित्ता (भावयित्वा) उ ३।१६१ भाय (भाग) ज ११८,४८,३११,१३५४१,४१, भाविय (भावित) प १७1८८ २३,३८,५५,६२,६५,८१,८६,९१,९८,१०३, भावियप्प (भावितात्मन्) प ३६७६ ज ७/१२२१२ १०८,११०,१४१,१६७,१७८,२००,२०५,२०७, सू१०।८४१२ २१२,२१४,२४०,७७,९,१०,१२,१३,१५, भावेमाण (भावयत्) ज १५,२१७१,८३ उ ११२, १६,१८ से २५,३१,३३,५४,६५,६६.६८,६६, ३;२११०३३१४,२६,८३,६६,१३२,१४४,१५०% ७१,७२,७६,१३४,१७७३१,२ उ १६६६,६४ ४१२४; ५२६,२८,३२,३६,४३ भाय (भ्रातृ) ज २।२७.६६ उ ११९५ १. आयारचला पञ्चदशाध्ययनानुसारी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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