Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 660
________________ १०१६ १५,२१३११ से ३, ७, ८, १२, १९.२०, २२, २३.२६,८७,८८,६१,६३,१५३,१५४,१६६, १६७,१७०, ४११ से ३,२७,५१ से ३,४४ महावेदतराग (महावेदनतरक ) प १७६, २७ महासंग्राम ( महासंग्राम ) ज २०४२ महासत्यपडण ( महारास्त्रपतन ) ज २२४२ महासमुद्द (महासमुद्र ) ज ३१२२,३६,७८, ६३,६६, १०६,१६३,१८० महासरीर ( महाशरीर ) प १७ २,२५ महासुक्क ( महाशुक्र ) प २२४६,५६,५७, ३३३५, १८३४।२४६ से २५१,६।३३,५६,७ १४; २१ ७०; २८ ।८१ ; ३३/१६:३४/१६,१८ उ २२२ महाग ( महाशुक्रज) ज ५४६ महाकवडेंस ( महाशुक्रावतंसक ) प २२५६ महासुमिण ( महास्वप्न ) उ १४०४३ महासे कण्ह ( महासेनकृष्ण ) उ ११७ महासेत ( महाश्वेत ) प २२४७३ महासोक्ख ( महासौख्य ) प २३०, ३१, ४१, ४६; ३६।८१ ज १२४, ३१, ३।११५, १२४, १२५, २२६; ५।१८ सू १७/१; २०११ महावेदणत राग - महेसर महिदय ( महेन्द्रध्वज ) ज ४।१२८, १३३,१३६; ५।४३,४४,४६,५०,५२, ५३ उ ३।७ महिढी (महद्धिक ) प २१३०,३४,३५ से ३७, ३६,४१,४६,४६,५०,५८ Jain Education International महिता ( मथित्वा ) ज ५११६ महित्य (दे० ) प १|३७|४ महिमा ( महिमन् ) प २३१,६०,११६,५१३,७,२२, ४६,७४ ज २२३१,६०,११६,५१३,७,२२,४६, ७४ महिय ( महित ) प २३०,३१,४१ ज ११३७,३७, १०८ से १११ महिय ( मथित) उ १।२२,१४० महिया ( महिका ) प ११२३ महिला (महिला) ज २२१५,६४, ३।१३८,१६७४ महिलिया (महिला) ज ३।१२६।३ महिव ( महीपति ) ज ३।११७ महिस (महिष ) प १६४; २/४६, ११।२१ ज ३।२४,१०३ महिती (महिषी ) प १११२३ ज २१३४७ १६८१२ महु ( गधु) ज ७।१७८ उ ११३४,४६, ७४ ३ । ५१ महु ( मधुक ) प ११४८३ महुयरी (मधुकरी) ज २११२ महाहिमवंत ( महाहिमवत् ) प १६३० ज ४५४, ३५,६१ से ६३,७६ से ८१,२६८ महिय (महक ) प २३१,३७,३९,४२,४३, ४८, ५०, ५२; १७१८४ से ८७,८६३६३८१ ज १।२४,३१,४५ ४७, ५१, ३१११५,१२४, १२५,२२६; ४१२२,३४,५१,५४,६०,६१,६४, ८०,८४,८५,६७, १०२, १०७, ११३, १५६, १६१,१६५,१६६,१७७, १८०, १८४, १८६, १९६,१६८,२०३,२११,२६१,२६४,२६६, २७२:५११८; ७ १८१,२१३ सू १७ १; १८/१६, २०११, २ द ( महेन्द्र ) ज ११२६; ३१२ १ १०,२६,६९; महेत्ता ( मथित्वा ) उ ३१५१ ५।११ महेसर (महेश्वर) प २४७२ महर (मधुर) प ११४ से ६,५५,७,२०५६ १११५८ १३१५८ २३६४६, १०८ २८/२६, ३२,६६ ज २११२,१५.६४, १४५,४१३, २५; २८७ १७८३ ११४१, ४४, ३१६८ महुरतण ( मधुरतॄण ) प १।४२।२ महरयर (मधुरतर ) ज ४१२२ से २४ महररस (मधुररस ) प ११४८१४ महरा (मथुरा) प ३५ महुसिंगी (मधुशृङ्गी ) प ११४८३ महुस्सर (मधुस्वर ) प ५।५२ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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