Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 679
________________ वेड-वणसई ५।५७ वट्टवेयड्ढ ( वृत्तवताढय ) प १६३० ज ४ ४२, ५७,५८,६०,७१,७७, ८४, २६६, २७२ ५।५५; ६।१० ट्टि (वर्ति) प ११४७।२ ट्टिय (वर्तित ) ज २११५; ७ १७८ वट्टिया (वर्तिका ) प १४७२ वड (वट ) ५ १ ३६११ उ ३।७१ वड (दे० ) प १५६ मत्स्य विशेष डर (दे० ) प ११५६ मत्स्य विशेष वडभी ( वडभी) ज ३।११।१ asar (अवतंसक ) प २२५४,५८ वडिय ( पतित ) ज ३।१२५,१२६ बडेंस (अवतंस ) ज ४।२२५,२३२,२६०११ वडेंसग (अवतंसक) १२५०, ५२, ५५ से ५६ ज ११४३३।१७८, १८३४।५०, १०६,११२. ११६,१५५,१५६,२३७, २३८, २४०, २४३ डेंसगधर (अकार) ज ७।२१३ वडेंस (अवतंसक ) प २१५० से ५३,५६ ज १२४२३११८६; ४१४६, ५६, १०२, ११६, १२०,१४७, २२१ से २२४,२३७,५३१,६,१८; ७१८४, १८५ ड्ड (वृधू ) वडति सू १६१२२/१६,२० वढते १६।२२।१४ वडिज्जति प ५१७६, २१६ वड्ढ ( वर्धय् ) वड्ढे इ उ ३।५१ वड्ढे सि उ ३१७६ वड्ढरयण ( वर्द्ध किरत्न) ज ३१५, १६,३१,५२, ५३,६१,६२,६६,७०,६६, १००, १४१, १४२, १६४,१६५,१७८,१८०, १८१,१८६, १८८, २०६,२१०,२१६,२१६,२२० वरयणत्त (वर्द्ध किरत्नत्व) प २०५८ वड्ढमाणय ( वर्धमानक) प ३३१३५ वढावय (वर्धापक) उ३।११ afar (वर्धितक) उ३१३८ Jain Education International यत्ता ( वर्धयित्वा ) उ३।५१ वड्ढोवुढि ( वृद्ध वृद्धि ) चं ३३१ सू ११७ १, ११०,१४:१३।१ वण (वन) ज ४।२००, २०१,२१२,२१४,२१५, २३४,२३६,२३७,२४०, २४१,२४४, २४५, २४६,२५१,२५२;५।५५,५७; ७१११४ duces (वनस्पति) प १८ १४, १०५, ११०,१२०; २०/२२ areफइकाइय (वनस्पतिकायिक ) प ६१६,८३ १२।२६; १३ १६; १५ २६, ५३, ५५, ७४१४०; १६।४; १७३६२,६६, १०२, १८३८; १६१२; २०११३,२६,४६, २१३,२७,७६, ८५; २२ २४; २८१३६,१२३;२६।१०,२०; ३०१६,३६।१३ से १०३५ १६,३४,३८ autosकाइयत (वनस्पतिका विकत्व ) प १५९६ फतिकाइय (वनस्पतिकायिक ) प १६ । १२; १७/४० वर्णमाला ( वनमाला ) प . १३०,३१,४१,४६ ज ११३८, ४।१०, १२१, १४७, २१७ ; ५११८ वयर ( वनचर) ३१।६।१ वणरा ( वनराजि ) प १७ १२४ ज २११२ वलय ( वनलता ) प ११३६११ वणलया (लता) ज ११३७ २ १०१ ४ २७; ५।२८ विरोह ( वनविरोध) ज ७।११४१२ वर्णाविरोहि (वनविरोधिन् ) सू १०।१२४१२ वणसंड ( वन षण्ड) ज १।१२ से १४,२३, २५, २८, ३२,३५,४११,३,२५, ३१.३६,४३,४५. ५७,६२, ६८,७२,७६,७८,८६,६०,६३,६५,१०३, ११०, ११६,११८,१४१,१४३, १५२१५३,१५४, १५६,१७४,१७६,१७८, १८३,२००,२१२, २१३,२१५,२२१,२३४,२४०, २४१,२४२, २४५७ २१३५८ वणस्स (वनस्पति) प ६ १०४; १७१३३; १८१५७,६२,२०१२८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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