Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१०६४
सद्दावइ-समकम्म
सहावइ (शब्दापातिन्) ज ४१४२,५७,५८,६०,७१
सद्दावति (शब्दापातिन) प १६३० सहाविता (शब्दयित्वा) ज ११४६ सहावेत्ता (शब्दयित्वा) ज २१९७१।१७:३१७
४११६:५११५ सदुण्णइय (शब्दोन्नतिक) ज २११२,४१३,२५ सद्ध (श्राद्ध) ज २१३० सद्धा (श्रद्धा) सू २००६।३ सद्धि (सार्धम् ) प ३४११६,२१ से २४ ज २१६५,
५८,६०,३१९,२२,३६,७७,७८,१८६,२०४, २२२,२२४;५१,५,४१,४४,४६,४७,५६, ६७,१३४,७११३५,१८४ सु १०।२ उ ११२ ३३९८,४११८,५।१६ उ १२२,३।६८,४११८;
५१६ सन्नद्ध (सन्नद्ध) ज ३७७ सन्निकास (सन्निकाश) ज ३१२४ सन्निभ (सन्निभ) प २१३१ सन्निवाइय (सानिपातिक) उ ३.३५ सन्निहिय (सन्निहित) प २।४६,४७ सपक्ख (स्वपक्ष) उ १२२,१४० सपक्खि (स्वपक्षिन् ) उ ११४६ सपक्खि (सपक्षम् ) १ २।५२ से ५६,६१,१६।३० सपज्जवसिय (सपर्यवसित) ११८१३,२५,५५,
५६,६३,६४,६७,६८,७६,७७,७६,८३,८६,
६०,१०५,१११,१२२,१२६ सपडिदिसि (सप्रतिदिश्) प २१५२ से ५६,६१
१६।३० उ १५२२,४६,१४० सपरिनिव्वाण (सपरिनिर्वाण) ज ४।२७७ सपरियार (सपरिचार) ३४११५.१६ सपरिवार (सपरिवार) प २१३२,३३,३५,४३,
४८ से ५१ ज ११४४,४५२१६०;४१५०,५६, १०२,११२,१३५,१४७,१५५,२२१,२२२,
२२३३१,२२४११:५१,१६,४१,५०.५८ सपुव्वावर (सपूर्वापर) ज ४१२१,२५६ सू ३३१;
१०१२७,१८६१,२१ सप्प (सर्प) ज ७१३०,१८६।३ सप्पदेवया (सर्पदेवता) सू १०१८३ सप्पभ (सप्रभ) प २१३१,४१,४६,५६,६३,६६
ज ११८,२३,५।३२ सप्पसुयंधा (सर्पसुगन्धा) प १।४८३ धवलवा सप्पह (सप्रभ) ५ २।३० ज ११२१ सप्पुरिस (सत्पुरुष) प २।४५,४५।२ सरफाय (दे०) प १४८।५० सबर (शबर) ५११८६ सबरी (शबरी) ज ३।१११२ सभितर (साभ्यन्तर) ज ३१७,१८४ सभा (सभा) ज २१६५,१२०,४१२०,१२१,१२६,
१३१,१४०,५३५,७,१८,२२,२३,५०,७१८४, १८५ सू १८१२२,२३ उ ३१६,३६,६०,१५६,
१६६४१५:५।१५,१६ सभाव (स्वभाव) ज २११५ सभावणग (सभावनाक) ज २१७२ सम (सम) १ ११४८१० से १६:१३१२२११,२,
१७१।१२११०२:२२१६६,७०,२३५१६७; २६।६,६; ३६१८२।१ ज २१७१,३।३५,१३८, १५१,१७०,२११:४१३.२५,५७.६७,१८०; १८३;५।१८,४३,७।३७,३८,१३५।१,४,१६८,
१७८ समइक्कंत (समतिकान्त) ५ १३१ समइच्छमाण (समतिकामत्) ज २१६५,३।१८६,
२०४ समंतओ (समन्ततस्) ज २१६५ समंता (समन्तात्) प १७१०६ से १११ ज १७,
६,२३,३२,३५२।१३१,४।३,६,१४,२०,२१, २५,३१,४५,४७,५७,६८,७६,८६,१०३,१०७, १३१,१४३,१४८,१४६,१५२,२११,२१३, २१५,२३४,२४० से २४२,२४५, ५४५,७,३८,
५७,७।५८ सू ३११ उ ५८ समकम्म (समकर्मन्) प १७१३,४,१५,१६
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