Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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पहगावई -परक्कम
पहगावई (पावती) ज ४१२१२, २१२।१ पम्हल ( पक्ष्मल ) ज ३१६,२११,२१२:३५८ पहले (पद्म) ११६ पहलेठाण (स्थान) १७१४६ पहलेसा (पद्म)
म्हलेस (प)
१७११२१ २२:१३२०,१६४९;
१७३५,५६,६४,६६६५७१.७३७९ से ८१,०३,०४, ११२, १६७, १८७३ २८।१२३
पहले व्यारथान) १७१४६ पहले) १६४६ १७३५.३६, ५४,११७,११,१२१,२२५, १२७, १२९,१३४, १३७,१४४,१५३ से १५५
पहले स्थापरिणाम ( नव्या रिम) १२०६ पहावई ( पदमावती) ज ४२०२१२,२१२ पय (पद) प ११०१।७.२२४४५६ २३।१४६ २८।१।२२८११२३३६६६७२ व ३१६,१२, ८८ १५४, १६७७६५१२१,५८७११५६ से १६७
३।१०१,१३४
११५१०१
यंग (प)
पग (पतंग, पदक) २१८१,२२४७११ पर्याड (प्रकृति) २३|१|१
पण (प्रमनु) ज २।१६
पयत (पतंग, पद) २४०१३
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你
पत (३१२५ यस (प्रस) ज ४२४,१७ पerus (पति, पदगपनि ) प २२४७३ पयर (प)
पयरग ( प्रतरक) ज ३।१०६५२३८,६७ पयरय ( प्रतरक ) प १११७५ पराभेद (प्र) ११७५७६ परामेय (१११०३ पला (चल) २३१४ परवाइय (दे० ) प १५०६ पापला (च) पर्यालय (प्रचलित
११४६०१२१८,२७,३६,२७
२३१४ ३६५२१
पल्ल (प्रकल्प) मू २०१६, २०१६१५ पया (प्रजा) ज २६४; ३११८५, २०६ / पया ( प्र + - जन्) पत्राएज्जा उ ३११०१ पलामि १७८३६८ पाहि ३१३९ पयात ( प्रयात) ज २०१४,१५.२१,४३,४४,५१.
७३
१२.६०,६१,६०,६६,१३०,१३१.१३६, १३७, १४०, १४१, १४९,१५०,१७३ पाय (प्रगत व २०३०,१४६, १६७.१७२ पया (प्रजात) १०५३ २०१३४ पायमाण (प्रजनवत्) ३।१२६ पयार ( प्रचार ) ज २।१३१ पालवण (प्रणव) २१ पथावद (प्रजापति) ७१३०,१०६२३ पयावइदेवया (प्रजापतिदेवता ) भू १०१८३ वयाहिण (प्रदक्षिण) ज ११६ २०१० २३५ ५५. ४४,४६१।१६,२१ ३११३४१३ पयाहिणावत ( प्रदक्षिणावर्त) ज २।१५; ७ ५५ पयोहर ( पयोधर ) ज २११५
पर (पर) प ११०१०४ २०६२३२६६०१२ १४१३२२४ से ६२३१६ से २३ १०१९ ६।१:१३१२, १४ से १७
पर ( परं ) प ११।८६
परंगण्य (पत्) ३१३० परंपर (परस्पर) प २०१६ से ८७४२ परंपरगत ( परम्परगत ) प २२६४।२१ परंपरसिद्ध ( परम्परसिद्ध ) प १।११, १३, १६।३५,
३७
परंपरा (परम्परा) उ १।१११,११२ परंपराघाय ( परम्पराघात ) प ३६६४,७८ परंपरीगाड (परम्परवगाढ) १११६३ परंपरोपवण्णय ( परम्परोपक) प १५:४९ ३४।१२
परक्कम (पराक्रम) प २३:१२,२० ज २।५१,५४, १२१,१२६,१३०,१३८, १४०.१४६,१५४,
१. पालवण इति कल्पनापि जाते ।
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