Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
परिग्गहिया-परियच्छिय
६७५
२०५,२०६,२०६,५१५,२१,४६,५८ उ ११३६, परिणित्वा (परि+नि |-वा) परिणिव्वंति ४५,५५,५८,६४,८०,८३,६६,१०७,१०८,
ज ११२२,५०,२१५८,१२३,१२८,४११०१ ११६,११८,१२२:३।१०६,१३८,१४८,४।१५; परिणिताइप ३६८८ परिणिवायंति
१६.११० परिणिव्वाति प ३६१६२ परिग्गहिया (पारिग्रहिकी) प १७११,२२,२३, परिणिवाहिति ज २।१५१,१५७
२५,२२१६०,६२,६७,७०,७६,६२,१०१ परिणिव्वाण (परिनिर्वाण) ज २१११६ परिघट्ट (परिवृष्ट) ज ४।१२८:५१४३ ।। परिणिव्वुड (परिनिर्वृत ) ज २१६८;३।२२५ परिछण्ण (परिच्छन्न) ज २०१२
परिणिव्वुय (परिनिर्वृत) ज २१८५,६० परिजाण (परि-+ज्ञा) परिजाणइ उ ११३८; परितंत (परितान्त) उ ११५५,७७ ३१५८ पनिजाणाइ उ १११०० परिजाणेति परित्त (परीत) १६४८।२० से २६,३४ से ३७, उ ३।११८
४३,५२,५६ ; ३३११२,१०६,१८१०२.१०६; परिज्जय (दे०) सू २०१२
मू १३१२,१४।४,८ परिणत (परिणत)१४ से ६,११४८५६ परित्तमिस्सिया (परीतमिश्रिता) ११११३६ पिरिणम मरि-णम् ) पिणमति २८।२४ परित्तास (परित्रास) ज २१७०
से २६,३६,४२,४५,४६,७१,७४,१०५:३४।२०, परिधान रियाद) परिधाति ज ५१५७ २२ से २४ ज ७१११२।१,३,५ १०११२६१, परिनिव्वा (परि+निवा) परिनिवाहिद ३,५ परिणमति प १६।४६,१७।११५ से १२२, उ ५॥४३ १३६,१४८ से १५२,१५४,१५५
परिनिव्वुड (परिनिर्वृत) ज २१८८,८६
परिपीलइत्ता (परिपीड्य) प २८१२०,३२,६६ परिणममाण (परिणमल ) ज ३।२१,३४,५५,६४,
परिपीलिय (परिपीडित) ज २११३३ ५२,८५,११२,१३८,१४४.१६८,१८३,१६१
परिपुछणा (परिप्रच्छन) ज ७११७८ उ ११६०
परिभट्ठ (परिभ्रष्ट) ज २११३३ परिणय (परिणत) प १४,६ से १ ज २।१६५१५
परिभाएत्ता (परिभाज्य) ज २०६४ उ ३।३८,४०,१२७,१२८; ५।४३
परिभाएमाण (परिभाजपत्) उ १४३४,४६,७४ परिणयन्द (रिणन्तब्य) ज २११३३
परिभाग (परिभाग) सू १०११७३ परिणाम (परिणाम) + १५११५१३।१:१७.११४११, परिभंजेमाण (परिभुजान) उ ११३४,४६,७४
१३९; २३३१३ से २३,१६५,१६६ मे २०१ परिभुज्जमाण (रिभुजामान) ज ४११०७ २८.११ ज २।१६,१३१, ३।२२३,७।१३६.१, परिभोगत्त (परिभोगत्व) ज २१२४,३४,३५,३७;
७।२०२,२०४,२०७ परिणाम (परि-नमय) परिणामें ति । १७.२ परिमंडल (परिमण्डल) प ११४ रो६१०।१५ से २८१२१,३३,६७
२४,२६ से ३०; ११:२५:१३।२४ ज ५१५,७, परिणामणया (परिणामन) ५ ३४.१ से ३
२२ से २४ परिणामिय (f णामित) २३३१३ से २३ परिमंडिय (परिमण्डित) ज ११३७, ३११,३५, परिणामेमाण (रिणमयत ) उ ११४१,४३
१०६,११७.११८,१७८:५२४३,७।१७८ परिणाह (परिणाह) ज ४११०२
परिमाण (परिमाण) ज २१६४।१६८,२४३ परिणिट्ठिय (परिनिष्ठित) ज ३।३५
परियच्छिय (परिकक्षित) ज ५१४३
२११
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745