Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 561
________________ जोइसगणरायपण्णत्ति-जोय जोइसगणरायपण्णत्ति (ज्योतिर्गणराजप्रज्ञप्ति) १७३।१२।२६।१५।१०:१६।२२।१० उ ३१३१ चं १३ जोगपरिणाम (योगपरिणाम) प १३।२,१४,१६, जोइसपह (ज्योति:पथ) प २।२०,२४,२५,२७ १७,१६ ज ११२४ जोगसच्च (योगसत्य) प १११३३ जोइसप्पह (ज्योतिःपथ) प २।२२,२३,२६ जोगि (योगिन् ) १३६१६२ जोइसराय (ज्योतीराज) ज ७।१८३ से १८५ जोग्ग (योग्य) ज ३११०६:५७,४१ उ ३७ जोइसरायपण्णत्ति (ज्योतीराजप्रज्ञप्ति) चं ११४ जोणय (जोनक) ज ३।८१ म्लेच्छ जोइसिंद (ज्योतिरिन्द्र) प १४८ ज ७।१८३ से जोणि (योनि) प ११११४,११४८१६३,२१६४;६? १८५ उ ३१६,१५ से १८ से ४,६ से ११,१३ से १७,१६ से २३,२६ जोइसिदत्त (ज्योतिरिन्द्रत्व) उ ३।१४ ज २११३५ से १३७,३।३ जोइसिणी (ज्योतिषी) ५ ३११३८,१८३;४।१७४ जोणिप्पमुह (योनिप्रमुख) प १२०,२३,२६,२६, से १७६,१७१५३,७८,६२,८३,२०।१३ ४८,५०,५१,६०,६६,७५,८१ जोइसिय (ज्योतिधिक) प १११३०,१३३, २।४८; जोणिभूय (योनिभूत) प ११४८१५१ ३१२८,१३७,१८३,४।१७१ से १७३; ५३, जोणिय (योनिक) ज ३११११ २६,१२२;६।२६,४६,५६,५६,६५,६६,८५,९४, जोणिसूल (योनिशूल) ज २१४३ । १०६,१११,११७७।६।६।११,१८,२४,१५१३५, जोणीपमुह (योनिप्रमुख) प ११४६,७६ ४८,८७,६६,१२४; १६१६१७४२७,३०,५३, जाह (ज्योत्स्न) १०११३१,१८।१,५,६; ७८.८१,८३,६६,१०५;२०।१३,१६,२५,३०, १९।२२।१६,२०;१६६३१ ४८,५४,६०,२१।५५,६१,७०,६०; २२१३१, जोतिस (ज्योतिष् ) प २।४८,३१।६।१;३४।१६ ३६,८८,१००,२८1७३,११७,२६।१५,३११५ सू १०११३१,१८।१,५,६:१६६३१ ३३११५,३०:३५।१५,२२,२३ ज २१६४ जोतिसराय (ज्योतीराज) सु १८।२१ से २४; ४॥२४८,२५० से २५२,५१५३,५६,७२ से ७४; २०१४,६,७,६।१ जोतिसिद (ज्यौतिरिन्द्र,ज्यौतिषेन्द्र) स १८१२१ मे ७१८५ २४,२०१४,६,७ जोइसियत्त (ज्योतिपिकत्व) प १५१२६ जोतिसिणी (ज्यौतिषी) मू १८१२६ जोइसियराय (ज्योतीराज) प २०४८ जोतिसिय (ज्योतिधिक) ५ १२१६,३७,१३१२०, जोईरस (ज्योतीरस) ज ५१५ १५।१०४,१०७,१६१६१७।३३,३४,६१; जोएअव्व (योजयितव्य) प १०।२६ १६१४,२०।३५,३७,२२।७५:२६॥२२३२।५; जोएत्ता (युक्त्त्वा ) सू १०५,१५८६ ३३।२३,३४,३७,३४१४,१०,३५२२३३६१२६, जोएमाण (युञ्जत् ) ज ७१४१ से १४५,१५०, ४१,७२ १८२३,२५,१६।२२ जोतिसियत्त (ज्योतिषिकत्व) प १५५१११,३६।२२ जोग (योग) प३।१११:११३३११:१८११११ जोत्तग (योक्त्रक) ज ७।१७८ २८॥१०६१३६।१२ ज २१६५,७१,८८,६५; जोय (योग) ज ३११७८,७१२६ सू १०२,३,५, ३।१५६,२२५७।१,११२१२,१२७।१,१२६, ७५,१२२,१२३,१२६१,१३२ से १३४,१३६, १३०:१३४।१,४,१३५,१३८ से १४०,१६७११ १६२ से १६६१२।२६,३०,१५।८,११,१२, चं १३,५.१ सू ११६३,१।६।१:१०.१,५,१७२, १३,१६।१,५,८,१५,१६,२१,१९४२२१२१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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