Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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निक्खंत - निमंच्छणा
निक्खंत (निष्क्रान्त) उ ३११७०४।२८५।२७ निक्खम ( निर् + क्रम् ) निक्खमइ उ १ ११६ निक्खमण (निष्क्रमण ) ज ४।१७७ उ ३३१०६; ४११६ निक्खमाण (निष्क्रामत् ) सू १८१२, १११२.१४,
१६,१८,१६,२१२४,२७; २।३६११ निक्खमित्ता (निष्क्रम्य ) उ १।११६ निक्खित्त ( निक्षिप्त) उ३।४८.५०,५५ निक्लेव (निक्षेप) उ १३१४८ निगम ( निगम ) प १७४ ज ३१६,७७,२२२ निगर ( निकर ) ज ३।१२,८८५५८ / निगिण्ह ( नि + ग्रह ) निभिष्हइ ज ३।२३,३७,
४४
निगिव्हित्ता ( निगृहय ) ज ३१२३ निगोद (नगद) प ३६१ से ६३,७० से ७४,८२, ८४ से ८७,६४,६५,१८३; १८४६ निगोय ( निगोद ) प ११४८।५६ से १८३२८७ निग्गंथ ( निर्ग्रन्थ) ज २१७२३३१३८, ४०, ४२, १०३,१३६ ; ४।१४; ५।२०
निम्गंथी (निर्ग्रन्थी) ज ३।१०२, ११५, ११७,११८; ४१२२ ३ १०२, ११५, ११७,११८६४१२२ / निमाच्छ ( निर् + गम् ) विग्गच्छइ उ १११६; ३।१३:४११३५।१६
निम्गच्छित्ता (निर्गत्य ) उ १११६, ३३२६, ४ । १३ निग्गय ( निर्गत ) चं ६ सू १४ उ १२.१६, २०६६ ३१५,१२,२४,८६. १४७ १५५, १५६, ४१४, १० : ५१४, २६, २७, ३७,३८८
निग्घोस ( निर्घोष ) ज ३११२.७८
निघस ( निकष ) ज ११५
निचिय ( निचित) ज ५१५ निच्च (निस) २२४,२६,२७ निच्चच्छणय ( चित्यासक, वित्यक्षणक) उ५१५ निच्चालोय (लोक) सू २०१८/६ निच्चिट्ठ (निष्चेष्ट ) ११६०.६१ निच्छुकाम (निक्षेपकाम) उ११७३
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६५७
निच्छय ( निश्चय ) उ ३१११
निच्छुहाव ( नि ! क्षेपय् ) निच्छु वेड उ १।११७ निच्छुहाबिय (निक्षेपित ) उ १।११६ निच्छूद ( निक्षिप्त) उ १।११८ निज्जर (र्ज्)ि निज्जरंति प १४।१८ निज्जरि १४/१८ जिरिस्सति १४१८ निजरेंसु प १४।१८ निज्जरा (निर्जग ) प १४।१८११ निज्जाणसंठिया ( निर्याणसंस्थित) सु४|३ निज्जाणभूमि (निर्याणभूमि) ज ५४८ निज्जाणमा (निर्माणमार्ग ) ज ५।४४ उ ३३६१ निज्जत (निर्युक्त ) प २।३०
निज्झर ( निर्भर) ज २४,१३१६ से १६,२८ निट्टियट्ठ (निष्टतार्थ ) प ३६६४ निष्ण ( निम्न ) ज ३२७७, १०६ नितंब ( नितम्ब ) ज ४१६४ नित्तेय ( निस्तेजस् ) उ ११३५ निदाया (दे० ) प ३५।१८,१६ निदाह ( निदाघ ) ज ७ ११४१२ निद्दा ( निद्रा ) प २३६१
निहाय माण ( निद्रायमान) उ३।१३० निद्ध (स्निग्ध ) प १४ से ६६५१५,७,१२६.२१४, २१८,२२१,२२६; १३/२२; १७/१३८
ज ३।१०६
निन्न ( निम्न ) उ ३३५५
निष्पंक ( निप्प ) प २३०, ३१,४६,५६,६३,
६४ ज ११३१ निष्पट्ट्पािगरण (निःस्पृष्टप्रश्नव्याकरण) उ ३२६
निप्पाण (निष्प्राण ) उ १२६०.११
V निष्कज्ज ( निर् + षद् ) निष्फज्जए ज ७ ११२/४ सू १०।१२२२४ निष्फज्जति प ९२६ निष्पन्न (निष्पन्न ) ज २११८
निष्काव (निष्पाव ) प १।४५।१ ज ३ । ११६ सेम / निर्भछ ( निर् + भत्सं ) निव्भच्छेइ उ ११५७ निच्छणा ( निर्भर्त्सना ) उ ११५७,८२
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