Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 562
________________ ६१८ जोय-असणा जोय (युज) जोइंति ज ७/१२६ जोइंसु जोयणसहस्सहत्तिय (योजनसहस्रपृथक्रिक) ज ७११२६ जोइस्संति ज ७१२६ मू १६१ प ११७५ जोएइ ज ७/१२६ जोएंति ज ७।१,११२१२ जोवण (यौवन) प २।३१,३४१२० ज २११५; सू १०१५,१२६।१,२ जोएंसु ज ७।१ सू१०।७५ ३।६२,११६,१३८,५६८,७० सू २०१७ जोएति सू १०१२० जोएस्संति ज ७१ उ३।१२७ सु १०७५ जोयंति ज ७/११२११ जोव्वणग (यौवनक) २३१२७ १२८,५१४३ जोयण (योजन) प १७४,७५,८४,२।२१ से २७, जोह (योध) ज ३।१५,२१,२२.३१,३४,३६,७७, २६ से ३६,३८,४१ से ४३,४६,४८ से ५५, ७८,६१,६८,१६७।६,१७३,१७५,१६६ ५६,६३,६४,१११७२,१२१२७,३६,१५१४० से उ १११२३ ; ५११८ ४२,२११३८,४१ से ४३,४५,४७.१,२,२११६३, ६८ से ७०,८७,३३।१०,११:३६१६६.६८, . झंझावाय (भ.झावात) प १२६ ७०,७२,७४८१ ज ११७,८,१२,१४,१६, झय (ध्वज) ज ११३७,२।१५,२०,३१७,३१,३५, १७।१,१८,२०,२३,२८,३२,३५,४६,४८,५१; २१६३११,१८,२५,३१,३८,४६,५२,६१,६६, १७८,१७६ ७६,८१,६५,६६,१११,११६,११८,१३१,१३२, झया (ध्वजा) उ १२२,१४० झल्लरि (भल्लरी) प ३३।२३ ज ३।१२,७८, १३७,१४१,१५६,१६०,१६४,१८०,१६२; १८०,२०६ ४।१,३,६,७,१४,२३ से २५,३१,३६,३८ से ४३,४५,४७,४६,५२,५५,५७,५६,६२,६४ से झस (झस) ज ३३ ६८,७२ से ७८,८१,८६,८८,६० से १५,६८, झिा (ध्य) भियाइ र १४१५३९८ झिामि १०३,१०८,११०,११२,११४ से ११६,११८ उ ११४० झियासि उ ११३७ मिह उ २४२ से १२८,१३२,१३६ से १४१ १४२११,१४३, झिाहि उ ११४१ १४५,१४६,१५३,१५४,१५६.१६३ से १६५, झाण (ध्यान) उ३१३१ १६६,१७४ से १७६.१७८,१८३,२००,२०१, झाणंतरिया (ध्यानातरिका) ज २१७१ २०३:२०५ से २०७,२१३,२१५ से २१९, झाणकोट्टोवगय (ध्यानकाप्टोपगत) ज ११५; २२१,२२६,२३४,२४० से २४३,२४५,२५७ १८३ उ ११३ से २५६,२६२,५।३,५,७,२२ से २४,२८.३५, झिाम (दह ) भामेति ज २।१०८ झामेह ज १०७ ४३,४४,४६,५०,५३, ६६.१,६८,७।३ से झिगिर (दे०) ५ ११५० २५,३१ से ३४,५८,६२ से ८४,८६,८८,८६, झिगिरिड (दे०) ५ १५० ११ से १६,१७१ से १७४,१८२,२०७ ‘झिया (ध्य,ध्मा) झियायंति ज ३।१०५ सू १११४,२० से २४,२६ से ३१:११,३, झियायमाण (ध्यायत) उ ११३६,३७,४२,७१ ४।३ से ५,७,८,१०,१८११,५,६,६ से ११,२०, झिल्लिया (झिल्लिका) ११५५० १६४,७,१०,१४,१८,२०,२२।२८,२६, झिल्ली (झिल्ली) प ११४८१४२ १६।२३,२६,३०,३४,३७, उ १५१३४३७, झुसिर (शुषिर) ज ५।५७ २०११ ६१:५४ झूस (शोपय् ) भूसेइ उ ३१८३ महिइ जोयणपुहत्तिय (योजनपृथक्त्विक) प ११७५ उ ५१४३ जोयणसत्तपुहत्तिय (योजनशतपृथक्त्विक) प १७५ असणा (जोषणा) ज ३१२२४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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