Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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६१२
जसधर ( यशोधर ) ज ७१११७।१
जसभद्द ( यशोभद्र ) ज ७ । ११७।१ सू १०८६।१ जसम ( यशस्वत्) ज २१५६,६१ जसवई ( यशस्वती) ज ७ १२१ सू १०/६१ जसोकित्ति ( यशः कीर्ति ) प २३|१६,२०,१५३ जसोकित्तिणाम ( यशः कीर्तिनामन् ) प २३१३८, १२७, १८८
जसोधर ( यशोधर ) सू १०८६१,८८ १ जशोहरा ( यशोधरा ) ज ४ । १५७|१५||१;
१२०१
जस्संठित ( यत् संस्थित) सू ४ ३
जह ( यथा ) प ११११३ उ १११०६
जहण ( जघन ) ज २११५
जहण ( जघन्य ) प १२७४ २२६४८४३१ से ५४, ५६ से ६७,६१ से ८६, ६१ से १३३,१३५ से २६६, २६८, ५४०, ४१, ४४, ४५, ७७, ७८, ६२, ६३.६६,६७, ११०,१११, ११४,११५,१५३, १५४,१५६,१५७,१५६, १६२,१६३, १६५,१६६, १६८,१६,६।१ से १८,२० से ४५,६०,६१, ६४,६६ से६८,१२०,१२१, १२३, ७३२, ३, ६ से २६;११।७०,७१;१२१६, १३२२२; १५१४० से ४२; १७/१४६; १८१२ से ४, ६, ८ से १०,१२,१४ से १६, १८ से २४,२६ से २८.३० से ३६,४१ से ५४,५६,५७,५६ से ६७,६० से ७४,७६ से ८१,८३ से ८५,८७,८६ से ६१,६३,६५,६६, ८,१०३,१०४,१०५, १०७.१०८, ११०,११३, ११४,११६,११७,११६, १२०, २०१६ से १३, ६१,६३,२१1३८, ४० से ४२,४८,६३ से ७१, ७४,८४,८६,८७,६० से ६३,२३६० से ७६, ८१, ८३ से ६२, ६५ से ६६, १०१ से १०४, १११ से ११४,११६ से ११८, १२७,१२६, १३१,१३३ से १३५, १३८, १४०, १४२,१४३; १४७, १५१ से १५३, १५५,१५७,१५८,१६० से १६२,१६४ से १७३, १७६, १७७,१८२,१८३ १८६ से १८८, १६० से १६३; २८/२५,४७,५०,
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जसधर - जहण्णोगाहणम
७३ से ६६; ३३।२ से १३,१५ से १७,३६८ से १०,१७,१८,२०,३०,३४,४४,६१,६६,६८, ७०७२ से ७४,७६, १२ ज २१४४, ४५,५८, १२३, १२८, १४८, १५१, १५७, ४११०१, ७/२८, ५७,६०,१८२,१८७ से १६६,२०६ सू १।१४; १८।२०,२५ से ३४; १६१२, २०१३ जहण्णग ( जघन्यक ) प १७ १४४, १४६, २३ १५२, १८४
जहण्णगुण ( जघन्यगुण ) प ५२३६, ३७,५८,५६,७३, ७४,८८,८९,१०६, १०७,१८६, १६०, १६२, १९३,१६६, १६७,१६६,२००,२०२, २०३, २०६,२०७,२१०, २११,२१३,२१४, २१७, २१८,२२०, २२१, २२३, २२४, २४१,२४२ जहणतीय ( जघनःस्थितिक ) प ५१२३, ३४,५५,
५६,७०,७१,८५,८६,१०३, १०४, १७३, १७४, १७६,१७७, १८०, १८१, १८३, १८४, १८६, १८७,२३८,२३६
जहणवितीय ( जघन्यस्थितिक ) प ५१५६ जहणपएसिय ( जघन्यप्रदेशिक ) प ५२२८ जहण्णपदेशित ( जघन्य प्रदेशिक ) प ५।२२८ जहण्णपदेसिय ( जघन्यप्रदेशिक ) प ५।२२७ जहण्णय ( जघन्यपद ) ज ७ १६८,१६६,२०२, २०४,२०६, १२३२ जहणमति ( जघन्यमति ) प ५१६२,६३ जहणय ( जघन्यक ) प १५ ६४; १७ १४४;
२१११०५;२३।१६३ ज ७।२६ सू १।१४,१६, १७, १९, २१, २२, २४, २७, २१३ ३२,४७,६ ६११८|१,६२
जणुक्कोसग ( जघन्योत्कर्षक ) प १७।१४६ हक्कोस (जन्योत्कर्षक ) प १५/६४;
२११०५
जहणोगाहणग ( जघन्यावगाहनक ) प ५।२७, २८, ४८,४६,५२, ५३,६७,६८,८२,८३,१००,१०१,
१५३,१५४,१६२१६३,१६५,१६६,१६८.
१६६,२३३,२३४
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