Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Pannavanna Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
View full book text ________________
६०२
चक्कट्टित्त-चर
४७,५६,७६,६५,११५.११६,१२४,१३३, चक्षुहर (चक्षुहर) ज ३१२११:५१५८ १३५॥१,१३६,१३८,१४५,१५६,१६७।५,१४; चच्चपुड (चर्चपुट) ज ३३१०६
४।६४,१६२,२७७,५।२१,५८,७११६६,२०० चच्चय (पर्चक) ज ३१८८ चक्कवट्टित्त (चक्रवर्तित्व) १२०१५०,५२
चच्चर (चत्वर) ज २१६५,३३१८५,२१२,२१३; चक्कट्टिवंस (चक्रवर्तिवंश) ज २२१२४,१५२
५७२,७३ उ १६८ चक्कट्टिविजय (चक्रातिविजय) ज ४।१६६, चच्चा (दे०) ज ५१५६ २६२,५१,५८,६११४,१६
चच्चिय (चचित) ज ३१२११ चक्कयाग (चक्रवाक) उ ५५
चडकर (दे०) ज १६५ चकवाय (चक्रात) ज २१२
चड़गर (दे०) ज ३१७,२१,२२,३६,७८,१७७ चक्कवाल (चक्रवाल) ज ११६५,४१२३४,२४०, चणग (चणक) ज ३१११६
२४१ सू १६४,७,१४,१८,३०,३४,३७ चत्ताल (चत्वारिंशत् ) ज ४।५५ सू१।२१ उ ३११२,१४१,४.१२,१३
चत्तालीस (चत्वारिंशत् ) प २३६ ज ५।४६ चक्काग (चक्रवाक) प ११४८१३८,१७६
सू १०।१५७ चक्कि (चक्रिन्) प ११६३१६,२०१११
चमर (चमर) प ११६४, २१३१,३२,४०१६ चक्किय (चक्रिक) ज २६४
ज ११३७,२१३५,१०१,११३,११६,३११८५, चक्किया (शक्नुयात् ) ज ३१८५
२०६।४।२७; ५।२८,५० चविखदिय (चक्षुरिन्द्रि) प १५॥१,३,८,१३,१६,
चमरचंचा (चमरचञ्चा ) ज ४।१६५,२१०२५२५० ३४,४१,५८,६४,७०,२८।४६,७१ उ ३३३
चमरोगंड (चमरगण्ड) ज ३।१७८ चविखदियत्त (चक्षुरिन्द्रित्व) ५३४२०
चम्म (चर्मन् ) ज ५।३२ चक्खिदियपरिणाम (चक्षुरिन्द्रियपरिणाम)
चम्मपक्खि (चर्मपक्षिन् ) प ७७,७८ प १३४
चम्मरयण (चर्मरल) ज ३१७८ से ८१,११६, चक्खु (चक्षुप) ज २५,४६
११७,१२१,१५१,१७८,२२० चक्खुदंसण (चक्षुर्दर्शन) प ५१५,७,२१,४५,८१,
चम्नरयणत (चर्मरत्नत्व) प२०६० ६३,६७,२६४३,७,१४,१७,१६,२१,३०१३,७,
चम्मेछग (चर्मेप्टक) ज चय (चय, च्यव) प २०१४६ ३ ३।१८,१२५,१५२;
४।२६,२८,५१३०,४३ चक्खदंसबाबरण (चक्षुर्दशनाबरण) १२३६१४
चय (श.) चाइ प २१६४।१७ चक्खुदंसणावरणिज्ज (चक्षुर्दर्शनावरणीय)
चय (च्यव) चयंति प६.१११६।२६,१७१६६ प२३३२८
सू १७१ चयति सू १६।२४ चक्खुदंसणि (चक्षुर्द शिन्) ५ ३११०४
चयंत (त्यजत् ) प २०६४१५ चक्खुदय (चक्षुर्द) ज ५१२१
चयण (च्यवन) प ६.४६,५६,६६, १७६१,१०५ चक्लुप्फास (चक्षुःस्पर्श) ज २० से २५,७६,८१ चं २१५ सू ११६।५ : १७६१ धक्खुफास (चक्षुःस्परां) सू २।३
चयोवचय (चयापचय) सू१।१४ चक्खूभूय (चक्षुर्भूत) उ ३।११
चर (चर) चरइ ज ७१०,१३,१६,१६ से ३०, चक्खुन (चक्षुष्मत् ) ज २५६,६१
२५,६६,७२,७५.७८ से ८२,८४,६५,६६,६८ चक्खुल्लोयणलेत (चक्षुर्लोकनलेश) ज ४।२७; ५।२८ से १००,१७१,१७३,१७५ सू १।११ चरंति
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612 613 614 615 616 617 618 619 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745