Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text ________________ [औपपातिकसूत्र पुरिससीहे, पुरिसवरपुडरीए, पुरिसवरगंधहत्थी, अभयदए, चक्खदए, मग्गदए, सरणवए, जीवदए, दोवो, ताणं, सरणं, गई, पट्ठा, धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी, अप्पउियवरनाणसणधरे, वियदृच्छउमे, जिणे, जाणए, तिण्णे, तारए, मुत्ते, मोयए, बुद्ध, बोहए, सवण्णू, सव्वदरिसी, सिवमयलमल्यमणंतमक्खयमव्वाबाहमणरावत्तगं सिद्धिगइणामधेज्जं ठाणं संपाविउकामे, अरहा, जिणे, केवली, सत्तहत्थुस्सेहे, समचउरंससंठाणसंठिए, वज्जरिसहनारायसंघयणे, अणुलोमवाउवेगे कंकरगहणी कवोयपरिणामे, सउणिपोसपिठंतरोरूपरिणए, पउमुप्पलगंधसरिसनिस्साससुरभिवयणे, छबी, निरायंक-उत्तमपसत्य-अइसेयनिरुवमपले, जल्ल-मल्ल-कलंक-सेय-रय-दोसवज्जियसरीरनिरुवलेवे, छायाउज्जोइयंगमंगे, घणनिचियसुबद्ध-लक्खणुण्णयकूडागारनिपिडियम्गसिरए, सामलिबोंड-घणनिचियच्छोडियमिउविसयपसस्थसुहमलक्खणसुगंधसुन्दर-भुयमोयग-भिग-नील-कज्जल - पहलुभमरगणणिद्धनिकुरुबनिचियकुचियपयाहिणावत्तमुद्धसिरए,दालिमपुरफट्यगासतवणिज्जसरिसनिम्मलमणिद्धकेसंतकेसभूमी, छत्तागारुत्तिमंगदेसे मिटवण-सम लट्ठ-मट्ठ-चंदद्धसमणिडाले, उडुवइपडिपुग्णसोमवयणे, अल्लोणपमाणजुत्तसवणे, सुस्सवणे, पीण-मंसल-कवोलदेसभाए, ग्राणामियचावरुइल-किण्हाभराइतणुकसिणणिद्धभमुहे, अवदालियपुंडरीयणयणे, कोआसियधवलपत्तलच्छे, गरुलाययउज्जतुगणासे, उवचियासिलप्पवाल-बिंबफलसण्णिभाहरोठे, पंडुर-ससिसयलविमलणिम्मलसंख-गोवखीरफेण-कुद-दगरय-मुणालिया-धवलदंतसेढी, प्रखंडदंते, अप्फुडियदंते, अविरलदंते, सुणिद्धदंते, सुजायदंते, एगदंतसेढी विव अणेगदंते, हुयवहणिद्धतधोयतत्ततवणिज्जरत्ततलतालुजीहे, अवडियमुविभत्तचित्तमंसू, मंसल-संठिय-पसत्थ-सदूलविउलहणुए, चउरंगलसुप्पमाणकंबुवरसरिसग्गीवे, वरमहिस-वराह-सीह-सदूल-उसभ-नागवर-पडिपुण्णविउलक्खंधे, जुगसन्निभपीण-रइयपीवरपउ?-सुसंठिय-सुसिलिट्ठ-विसिह - घण-थिर-सुबद्धसंधिपुरवर-फलिहबट्टियभुएभयगीसरविउलभोगमायाणपलिहउच्छूढदीहबाहू, रत्ततलोवइय-मउय-मंसल-सुजाय-लक्खणपसत्थप्रच्छिद्दजालपाणी, पीबरकोमल-वरंगुली, प्रायंबतंबतलिणसुइरुइलणिद्धणखे, चंदपाणिलेहे, संखपाणिलेहे, चक्कपाणिलेहे, दिसासोत्थियपाणिलेहे, चंद-सूर-संख-चक्क-दिसासोस्थियपाणिलेहे, कणगसिलायलुज्जल-पसत्थ-समतल-उबचिय-विच्छिण्णपिहलवच्छे, सिरियच्छविकवच्छे, अकरंडयकणगरुययनिम्मलसुजायनिरुवयदेहधारी, अट्ठसहस्सपडिपुण्णवरपुरिसलक्खणधरे, सण्णयपासे, संगयपासे, सुदरपासे, सुजायपासे, मियमाइयपीणरइयपासे, उज्जुय-समसहिय-जच्च-तण-कसिण-णिद्ध-प्राइज्ज-लउह-रमणिज्जरोमराई, झस-विहग-सुजायपीणकुच्छी, झसोयरे, सुइकरणे पउमवियडणाभे, गंगावत्तगपयाहिणावत्त-तरंगभंगुर-रविकिरण-तरुण-बोहियअकोसायंत-पउमगंभीरवियडणाभे, साहयसोणंद-मुसल. दप्पणणिकरियवरकणगच्छरुसरिसवरवइरवलियमझे, पमुइयवरतुरग-सीहवरवट्ठियकडी, वरतुरगसुजायसुगुज्झदेसे, प्राइण्णहउव्वणिरुवलेवे, वरवारणतुल्लविक्कमविलसियगई, गयससणसुजायसन्निभोरू, समुग्गणिमम्गगूढजाणू, एणीकुरुविंदावत्तवट्टाणुपुत्वजंघे, संठियसुसिलिटगूढगुप्फे, सुप्पइट्ठियकुम्मचारचलणे, अणुपुव्व-सूसंहयंगुलीए, उण्णयतणुतंबणिद्धणक्खे, रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालकोमलतले, अट्ठसहस्सवरपुरिसलक्खणधरे, नग-नगर-मगर-सागर-चक्क-कवरंग-मंगलं कियचलणे, विसिगुरूवे, हुयवहनिध्दूमजलियतडितडियतरुणरविकिरणसरिसतेए, अणासवे,अममे, अकिंचणे, छिन्नसोए, निरुवलेवे, ववगयपेमराग-दोस-मोह, निग्गंथस्स पवयणस्स देसए, सत्थनायगे, पइटावए, समणगपई, समणविंदपरियट्टिए, चउत्तीसबुद्धवयणाइसेसपत्ते, पणतीससच्चवयणाइसेसपत्ते, मागासगएणं चक्केणं, पागासगएणं छत्तेणं, प्रागासियाहिं चामराहि, पागासफलियामएणं सपायवीणं सीहासणेणं, धम्मिज्झएणं पुरनो पकडिज्जमाणेणं, चउद्दसहि समणसाहस्सोहि, छत्तीसाए अज्जियासाहस्सीहिं सद्धि संपरिवुडे पुव्वाणुपुटिव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
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