Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Devendramuni, Ratanmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________ महासिंहनिष्क्रीडित] इसमें साधक क्रमशः उपवास, बेला, उपवास, तेला, बेला, चार दिन का उपवास, तेला, पाँच दिन का उपवास, चार दिन का उपवास, छह दिन का उपवास, पाँच दिन का उपवास, सात दिन का उपवास, छह दिन का उपवास, आठ दिन का उपवास, सात दिन का उपवास, नौ दिन का उपवास तथा आठ दिन का उपवास करे। तदनन्तर वापिस नौ दिन के उपवास से एक दिन के उपवास तक का क्रम अपनाए। नौ दिन से उपवास तक का क्रम इस प्रकार रहेगा नौ दिन का उपवास, सात दिन का उपवास, पाठ दिन का उपवास, छह दिन का उपवास, सात दिन का उपवास, पाँच दिन का उपवास, छह दिन का उपवास, चार दिन का उपवास, पाँच दिन का उपवास, तीन दिन का उपवास, चार दिन का उपवास, दो दिन का उपवास, तीन दिन का उपवास-तेला, एक दिन का उपवास, बेला तथा उपवास करे / यों उतार, चढ़ाव के दो क्रम बनते हैं लघुसिंह निष्क्रीडित की एक परिपाटी में 1+2+1+3+2+4+3+5+4+6+5+ 7+-6 +8+7+9+8+ 9+7+86+7+5+6+4+5+3+4+2+3+1+2+ 1 = 154 दिन अनशन या उपवास तथा 33 दिन पारणा-यों कुल 187 दिन = छह महीने तथा सात दिन होते हैं। चार परिपाटियों में 187-187+ 187+187 = कुल दिन 748 - दो वर्ष अट्ठाईस दिन लगते हैं। महासिंहनिष्क्रीडित अन्तकृद्दशांग सूत्र अष्टमवर्ग के चतुर्थ अध्ययन में (महाराज श्रेणिक की पत्नी) प्रार्या कृष्णा द्वारा महासिंहनिष्क्रीडित तप करने का वर्णन है, जहाँ लघुसिंह निष्क्रीडित तथा महासिंह निष्क्रीडित के भेद का उल्लेख' है। छठें सोलसम करेइ, करेस्ता सव्वकामगुणियं पारे / अट्ठमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ / अट्ठारसमं करेइ, करेता सम्वकामगुणियं पारेइ / दसम करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ / चोदसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ / करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ / सोलसमं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ / मट्ठमं करेइ, करेता सव्वकामगुणियं पारे / बारसमं करेद, करेता सव्यकामगुणियं पारे / चउत्थं करेइ, करेता सव्वकामगुणियं पारे / चोइसमं करेड़, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ / छठं करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ / दसमं करेइ, करेत्ता सम्बकामगुणियं पारे / चउत्थं __ करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारे / बारसम करेइ, करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ / तहेव चत्तारि परिवाडीओ। एक्काए परिवाडीए छम्मासा सत य दिवसा / चउण्हं दो वरिसा अट्ठावीसा या दिवसा जाव सिद्धा। -अन्तकृद्दशासूत्र पृष्ठ 156 1. एवं-कण्हा वि, नवरं- महालयं सीहणिकीलियं तवोकम्मं जहेब खुड्डागं, नवरं चोत्तीसइमं जाव नेयव्वं / तहेव ओसारेयव्यं / एक्काए वरिस, छम्मासा अङ्गारस य दिवसा / चउण्हं छन्वरिसा दो मासा बारस य अहोरत्ता। सेसं जहा कालीए जाब सिद्धा। --अन्तकृद्दशासूत्र, पृष्ठ 159 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org