Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04
Author(s): K C Lalwani
Publisher: Jain Bhawan Publication

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Page 84
________________ भगबती सूत्रम् शः ९ उ. ३३ रागेणं आगयपण्हया जाव...समूसवियरोमकूवा ममं अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणी पेहमाणी चिट्ठइ। Gautama ! Samana Bhagavān Mahāvīra replied to Gautama thus : A. 64 Gautama! You do not know this Brahmani. Devānanda happens to be my mother, and I am her child. Because of this natural affection of a mother for her child, there is the flow of milk in her breast, till her pore-hairs are thrilled with joy, and she stands with her gaze fixed on me. तएणं समणे भगवं महावीरे उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणंदाए माहणीए तीसे य महति महालियाए इसिपरिसाए जाव...परिसा पडिगया। After this, Bhagavān Mahāvīra spoke at length to his guests as well as to the vast assembly of people, after which people went back home. तएणं से उसभदत्ते माहणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा णिसम्म हट्ठतु? उट्टाए उट्ठइ उट्टाए उट्ठत्ता समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो जाव...णमंसित्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! जहा खंदओ जाव...से जहेयं तुन्भे वदह त्ति कट्ट, उत्तरपुरत्थिमं दिसिभागं... अवक्कमइ अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लाऽलंकारं ओमुयइ सयमेव ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ करित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं जाब...णमंसित्ता एवं वयासी-आलित्ते णं भंते ! लोए पलित्ते णं भंते ! लोए आलित्तपलिते णं भंते ! लोए जराए मरणेण य एवं एएणं कमेणं जहा खंदओ तहेव पव्वइओ जाव...सामाइयमाइयाई एक्का रस अंगाई अहिज्झइ जाव...बहुहिं चउत्थछट्ठट्ठमदसम जाव...विचित्तेहिं तवोकम्मे हिं अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ झूसित्ता सर्टि भत्ताइ अणसणाए छेदेइ छेदित्ता जस्सट्ठाए कीरइ णग्गभावो जाव...तमट्ठ आराहेइ आराहेत्ता जाव...सव्वदुक्खप्पहीणे।

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