Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 03 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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चक्र, छत्र, चर्म, रत्नादि लेकर चलने वाले पुरुषवत् भावितात्मा अनगार की विकुर्वणाशक्तिनिरूपण ३५३, कमलनाल तोड़ते हुए चलने वाले पुरुषवत् अनगार की विक्रियाशक्ति ३५४, मृणालिका, वनखण्ड एवं पुष्करिणी बना कर चलने की वैक्रियशक्तिनिरूपण
३५४, मायी (प्रमादी) द्वारा विकुर्वणा, अप्रमादी द्वारा नहीं ३५६. दसवाँ उद्देशक : (छाद्मस्थिक) समुद्घात्
३५९ छाद्मस्थिक समुद्घातः स्वरूप, प्रकार आदि का निरूपण ३५९.
चौदहवाँ शतक प्राथमिक - उद्देशक परिचय; उद्देशकों के नाम ३६२. प्रथम उद्देशक : चरम ( -परम के मध्य की गति आदि)
भावितात्मा अनगार की चरम-परम मध्य में गति, उत्पत्तिप्ररूपणा ३६३, चौवीस दण्डकों में शीघ्रगतिविषयक प्ररूपणा ३६४, चौवीस दण्डकों में अनन्तरोपपन्नकादिप्ररूपणा ३६६, अनन्तरोपपन्नकादि चौवीस दण्डकों में आयुष्यबंध-प्ररूपणा ३६७, चौवीस दण्डकों में अनन्तर-निर्गतादि-प्ररूपणा ३६८, अनन्तर निर्गतादि चौवीस दण्डकों में आयुष्यबन्धप्ररूपणा ३६९, चौवीस दण्डकों में अनन्तर खेदोपपन्नादि अन्तर खेदनिर्गतादि एवं
आयुष्यबन्ध की प्ररूपणा ३७०. द्वितीय उद्देशक : उन्माद (प्रकार, अधिकारी)
३७२ उन्माद : प्रकार, स्वरूप और चौवीस दण्डकों में सहेतुक प्ररूपणा ३७२, स्वाभाविक वृष्टि और देवकृतवृष्टि का सहेतुक निरूपण ३७४, ईशान देवेन्द्रादि चतुर्विधदेवकृत तमस्काय
का सहेतुक निरूपण ३७६. तृतीय उद्देशक : महाशरीर द्वारा अनगार आदि का व्यतिक्रमण
३७८ भावितात्मा अनगार के मध्य में से होकर जाने का देव का सामर्थ्य-असामर्थ्य ३७८, चौवीस दण्डकवर्ती जीवों में सत्कारादि विनय-प्ररूपणा ३७९, अल्पर्द्धिक-समर्द्धिक देव-देवियों के मध्य में से व्यतिक्रमणनिरूपण ३८१, जीवाभिगमसूत्रातिदेशपूर्वक नैरयिकों
के द्वारा वीस प्रकार के परिणामानुभव का प्रतिपादन ३८३. चतुर्थ उद्देशक : पुद्गल ( आदि के परिणाम)
३८५ त्रिकालवर्ती विविध स्पर्शादिपरिणत पुद्गल की वर्णादिपरिणाम प्ररूपणा ३८५, जीव के त्रिकालापेक्षी सुखी-दु:खी आदि विविध परिणाम ३८६, परमाणु-पुद्गल शाश्वतताअशाश्वतता एवं चरमता-अचरमता का निरूपण ३८७, परिणाम : प्रज्ञापनातिदेशपूर्वक
भेद-प्रभेद निरूपण ३८९. पञ्चम उद्देशक : अग्नि
संग्रहणी-गाथा ३९१, चौवीस दण्डकों की अग्नि में होकर गमन-विषयक प्ररूपणा
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