Book Title: Abhidhan Rajendra Koshme Sukti Sudharas Part 05
Author(s): Priyadarshanashreeji, Sudarshanashreeji
Publisher: Khubchandbhai Tribhovandas Vora
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- सूत्रकृतांग - 12/32 जो साधक स्त्रियों से सेवित नहीं हैं, वे मुक्त पुरुषों के समान कहे गए हैं। 141. प्रबुद्ध मरणं हेच्च वयंति पंडिता ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 645]
- सूत्रकृतांग 12/3/8 प्रबुद्ध साधक ही मृत्यु की सीमा को पार कर अजर-अमर होते हैं । 142. कामासक्त मूछित गिद्धनरा कामेसु मुच्छिया ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 646]
- सूत्रकृतांग 1/23/8 - गृद्ध मनुष्य (अविवेकी मनुष्य) ही काम-भोगों में मूर्छित होते
143. निर्बल, खिन्न नाइति वहति अबले विसीयति ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 646]
- सूत्रकृतांग 12/3/5 निर्बल व्यक्ति भार वहन करने में असमर्थ होकर मार्ग में ही खिन्न होकर बैठ जाता है। 144. जीवनसूत्र न य संखयमाहु जीवियं ।
- श्री अभिधान राजेन्द्र कोष [भाग 5 पृ. 646]
- सूत्रकृतांग 1222 जीवन-सूत्र टूट जाने के बाद पुन: नहीं जुड़ पाता है ।
अभिधान राजेन्द्र कोष में, सूक्ति-सुधारस • खण्ड-5 • 93